SAIL BSP की GM पुष्पा एम्ब्रोस की किताब ‘फ्रॉम प्रिंसिपल्स टू प्रैक्टिस’

SAIL BSP GM Pushpa Ambrose's book 'From Principles to Practice'
पुष्पा एंब्रोस ने कार्यस्थल और आम जनजीवन में नैतिकता से जुड़े विभिन्न उदाहरणों का उल्लेख करते हुए सटीक तौर पर विश्लेषण किया है।
  • लेखिका पुष्पा एम्ब्रोस ने बिना लाग लपेट के कहा कि हम बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, पर उन्हें साकार करने में हमसे चूक हो जाती है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के स्टील मेल्टिंग शॉप (एसएमएस-3) विभाग की जनरल मैनेजर पुष्पा एंब्रोस की पहली पुस्तक ‘फ्रॉम प्रिंसिपल्स टू प्रैक्टिस’ का विमोचन स्टील क्लब में किया गया।

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अंग्रेजी में लिखी गई इस पुस्तक का विमोचन बीएसपी (BSP) के पूर्व कार्यकारी प्रमुख विनोद कुमार अरोरा व उपस्थित विशिष्ट अतिथियों ने किया। पुस्तक का हिंदी में अनुवाद भी शुरू हो चुका है। केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्तकर्ता लेखिका पुष्पा एंब्रोस ने अपनी इस किताब में संस्थागत स्तर पर कार्यस्थल और आम जनजीवन में नैतिकता से जुड़े विभिन्न उदाहरणों का उल्लेख करते हुए इनका सटीक तौर पर विश्लेषण किया है।

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व्यक्तित्व व कृतित्व पर हुई बात

आयोजन में मुख्य अतिथि विनोद कुमार अरोरा ने कोक ओवन विभाग में उनके अधीनस्थ अफसर रही लेखिका पुष्पा एम्ब्रोस के व्यक्तित्व पर अपनी बात रखते हुए कई मिसालें दी। उन्होंने बताया कि कैसे उनके विभाग में एक हादसे के दौरान पुष्पा एम्ब्रोस पूरी मुस्तैदी से कार्यस्थल पर डटी हुई थी।

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उन्होंने कहा कि आम जनजीवन से लेकर समाज के हर हिस्से में नैतिकता का समावेश होना चाहिए और सटीक उदाहरणों के माध्यम से लेखिका ने अपनी किताब में इसे बखूबी उकेरा है।आयोजन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित फादर जॉन जेवियर, बीएसपी ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव परविंदर सिंह, सीओसीसीडी के पूर्व सीजीएम राजीव श्रीवास्तव, फादर साबू ने भी लेखिका के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार भी रखे।

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अपने अनुभव लिखने से की शुरुआत

समारोह में लेखिका पुष्पा एम्ब्रोस ने बताया कि उन्हें पुस्तक लिखने की प्रेरणा दिवंगत माता-पिता ग्रेसी चेरियन और के. जे चेरियन से मिली। शुरुआत में अपने अच्छे-बुरे अनुभवों को लिखा। करीब बीस पन्ने लिखने के बाद उन्हें लगा कि इसे यहीं छोड़ देना चाहिए, क्योंकि वे जॉब में हैं। इसी बीच उनकी माता गुजर गईं और उन्होंने लिखने का विचार त्याग दिया।

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फादर जॉन ने उन्हें सलाह दी कि वे दिवंगत माँ को श्रद्धांजलि देने के रूप में लेखन जारी रखें। उन्होंने दोबारा लिखना शुरू किया, इस तरह यह पुस्तक पूर्ण हुई। लेखिका ने संपूर्ण रचनाक्रम में अपने पति ज्यूड फ्रांसिस के विशिष्ट योगदान का भी उल्लेख किया।

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कविता और गीतों ने समां बांधा

आयोजन में बीएसपी कर्मी प्रदीप मेनन ने लेखिका पुष्पा एम्ब्रोस को समर्पित कविता प्रस्तुत की।, शुरूआत में स्वागत भाषण रिचर्ड एम्ब्रोस ने दिया। वहीं डोमिनिक मार्टिन, एस. रानी, एस. ज्योति एवं बिन्नी डेनियल ने स्वागत गान ‘शावर्स ऑफ ब्लेसिंग्स’ प्रस्तुत किया। समारोह में बीएसपी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं विभाग में पदस्थ डॉ. रूचिर भटनागर, सीईडी के मंडा गुरुनाथ और जोशुआ फर्नांडिसने शानदार फिल्मी नगमे पेश किए। संचालन एलडीसीपी के महाप्रबंधक वीरेंद्र ओगले ने किया। स्टील क्लब के सेक्रेटरी डी विजित ने भी विशेष सहयोग दिया।

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पंद्रह आलेखों का संग्रह

पुस्तक में कार्यस्थल पर नैतिकता, नैतिक नेतृत्व, नैतिक संस्कृति का निर्माण, नैतिक संचार, कार्यस्थल संबंध और नैतिकता, नैतिकता और प्रौद्योगिकी समेत 15 आलेखों का संग्रह किया गया है, जिनमें उल्लेखित सभी उदाहरण जीवंत हैं।

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अपनी पुस्तक का जिक्र करते हुए लेखिका ने बताया कि इसमें उन्हीं बातों को शामिल किया गया है, जो कहीं न कहीं घटी हैं। पुस्तक में उन सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जो ऑर्गनाइजेशन को सुचारू और सफलतापूर्वक चलाने में कारगर हों। सैद्धांतिक रूप से संस्था कैसी होनी चाहिए, उसका प्रभावी तरीके से विश्लेषण पुस्तक को पठनीय बना देता है।

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मूल्यांकन में निष्पक्षता पर जोर

लेखिका पुष्पा एम्ब्रोस ने बिना लाग लपेट के कहा कि हम बच्चों को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, पर उन्हें साकार करने में हमसे चूक हो जाती है। इसकी वजह है, बच्चों के मूल्यांकन में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता की कमी। कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिला है कि कार्यक्षेत्र में पैदा हुए आपसी मतभेदों का साया रिपोर्टिंग पर भी पड़ता है।

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उनका कहना है कि भले ही मतभिन्नता हो, मगर रिपोर्टिंग निष्पक्ष और पेशेवर होनी चाहिए। हमारा नेतृत्व कैसा हो, इसके लिए उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की मिसाल भी दी कि कैसे वे कंपनी की नीतियों और कार्य संस्कृति को स्वयं पर भी लागू करते हैं।

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