- फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रता पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। स्टील इंडस्ट्री (Steel Industry) का मामला सदन में उठा। इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा (Minister of State for Steel and Heavy Industries Bhupatiraju Srinivas Verma) ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और इस्पात की कीमतें बाजारकी मांग-आपूर्ति गतिशीलता द्वारा निर्धारित होती हैं।
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सरकार देश में छोटे और मध्यम उत्पादकों सहित इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करती है। सरकार ने इस्पात आयात में कमी लाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू इस्पात निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-
(i) देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का शुभारंभ।
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(ii) इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) की शुरूआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके। इससे उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी ।
(iii) कुछ स्टील उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और लोहे, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु स्टील (कास्ट आयरन और स्टेनलेस स्टील के अलावा) (चीन से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड स्टील (कोरिया , जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) उपाय वर्तमान में लागू हैं।
(iv) चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के लिए काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लागू है।
(v) फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रता पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।
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