
- 9 अक्टूबर 2018 को संयंत्र में हुई एक बड़ी दुर्घटना के बाद एम रवि को सस्पेंड कर दिया गया था। सियासी दबाव और कुछ अधिकारियों का रवैया बना विरोधी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। AI ग्रोक (Grok) ने अब भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai STeel Plant) के पूर्व सीईओ एम. रवि पर भी अपनी जुबां खोल दी है। ग्रोक का जवाब पूर्व सीईओ के समर्थकों को काफी अच्छा लगेगा। वहीं, विरोधी आग-बबूला हो जाएंगे। Suchnaji.com ने Grok से पूछा-Bhilai Steel Plant के पूर्व CEO एम रवि के साथ क्या अन्याय हुआ?
ये खबर भी पढ़ें: कर्मचारी पेंशन योजना 1995: सरकार के गले की हड्डी बनी ईपीएस 95 पेंशन, पेंशनभोगी भड़के
प्रश्न का जवाब आया कि भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) (Bhilai Steel Plant) के पूर्व सीईओ एम. रवि के साथ हुए “अन्याय” का उल्लेख आमतौर पर 9 अक्टूबर 2018 को संयंत्र में हुई एक बड़ी दुर्घटना से जुड़ा है। इस घटना में कोक ओवन सेक्शन से जुड़ी गैस पाइपलाइन में विस्फोट हुआ था, जिसमें 11 कर्मचारियों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे।
ये खबर भी पढ़ें: बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारियों और अधिकारियों ने खाई कसम, पढ़ें क्यों
इस हादसे के बाद एम. रवि को उनके पद से हटा दिया गया था, और इसे उनके साथ “अन्याय” के रूप में देखा गया है, खासकर कुछ लोगों और समुदायों द्वारा जो मानते हैं कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।
एम रवि के बारे में ग्रोक ने ये भी कहा…
हादसे के बाद कार्रवाई:
विस्फोट के एक दिन बाद, 10 अक्टूबर 2018 को, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने एम. रवि को सीईओ के पद से हटा दिया। इसके अलावा, संयंत्र के जनरल मैनेजर (सेफ्टी डिपार्टमेंट) टी. पांड्या राजा और डिप्टी जनरल मैनेजर (एनर्जी) को भी निलंबित कर दिया गया था। यह निर्णय दुर्घटना की गंभीरता और सार्वजनिक दबाव के चलते लिया गया था।
ये खबर भी पढ़ें: नेताजी के कब्जे पर चला भिलाई स्टील प्लांट का बुलडोजर, हाईकोर्ट तक गया था मामला
आलोचना और अन्याय का दावा:
कुछ लोगों का मानना है कि एम. रवि को हटाना जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। उनके समर्थकों का तर्क है कि इस तरह की औद्योगिक दुर्घटनाएं कई कारणों से हो सकती हैं, जैसे तकनीकी खराबी, रखरखाव में चूक, या सुरक्षा मानकों का पालन न होना, जो केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं हो सकती। यह सवाल उठाया गया कि क्या संयंत्र के संचालन और सुरक्षा प्रणालियों में व्यापक खामियों को नजरअंदाज कर सिर्फ एम. रवि को निशाना बनाया गया।
ये खबर भी पढ़ें: सेल आरएसपी के 7 कर्मचारियों को मिला शाबाश अवॉर्ड, पढ़िए नाम
कानूनी और सामाजिक पहलू:
एम. रवि को दुर्ग जिला अदालत द्वारा समन भी जारी किया गया था, जो 2018 में पहले से चल रही किसी जांच या मामले से संबंधित हो सकता है। हालांकि, 2018 के विस्फोट के बाद उनके खिलाफ कोई स्पष्ट आपराधिक मुकदमा दर्ज होने की जानकारी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई। फिर भी, उनके करियर पर इस घटना का गहरा प्रभाव पड़ा।
उनके पक्ष में तर्क:
एम. रवि के कार्यकाल में भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai STeel Plant) ने कई उपलब्धियां हासिल की थीं, और उनके नेतृत्व की सराहना भी हुई थी। इसलिए, कुछ लोगों का मानना है कि एक दुर्घटना के लिए उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहराना और पद से हटाना उनके साथ अन्याय था, खासकर जब जांच पूरी होने से पहले ही यह कदम उठाया गया।
हालांकि, इस मामले में कोई ठोस आधिकारिक दस्तावेज या जांच रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है जो यह स्पष्ट करे कि उनके साथ हुआ निर्णय पूरी तरह अन्यायपूर्ण था या नहीं। यह एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है, और अलग-अलग लोगों की इस पर अलग-अलग राय है। कुछ इसे प्रशासनिक जवाबदेही का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ इसे एक अनुचित कार्रवाई के रूप में देखते हैं।
ये खबर भी पढ़ें: SAIL की सभी इकाइयों में सबसे लायक प्लांट बना बोकारो स्टील प्लांट, मिला ये अवॉर्ड