IISCO Burnpur Steel Plant: 5 कूलिंग टॉवर 30 सेकंड में धमाके से ध्वस्त, अब सिर्फ इतिहास, देखिए वीडियो

IISCO Burnpur Steel Plant 5 cooling towers collapsed in 30 seconds due to explosion now just history
कार्मिक हाथों में मोबाइल कैमरा लिए इस पल को कैद करते रहे। कोई फेसबुक लाइव करता रहा तो कोई रील बनाता रहा। अब अवशेष बचे।

इसी स्थान पर 4.2 मिलियन टन का अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट आएगा।

आईएसपी का आधुनिकरण और विस्तारीकरण का कार्य यहीं होगा।

सूचनाजी न्यूज, बर्नपुर। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के इस्को बर्नपुर स्टील प्लांट (IISCO Burnpur Steel Plant) का 5 कूलिंग टॉवर अब इतिहास के पन्नों में समा गया है। एक साथ पांचों टॉवर को रविवार दोपहर सवा बजे ध्वस्त कर दिया गया।

सेफ्टी नॉर्म्स को फालो करते हुए पूरे एरिया को सील किया गया था। टॉवर से काफी दूरी पर बिल्डिंग की छत पर उच्चाधिकारी इस इतिहासिक पल के गवाह बने। कार्मिक हाथों में मोबाइल कैमरा लिए इस पल को कैद करते रहे। कोई फेसबुक लाइव करता रहा तो कोई रील बनाता रहा। धमाका हुआ और हर तरफ धुआं ही धुआं नजर आने लगा। इस दौरान सायरन बजता रहा। धुआं बर्नपुर शहर की तरफ जाता दिखा, आसनसोल की तरफ रुख नहीं था।

इसी के साथ इतिहास के पन्नों में एक यादगार टॉवर कैद हो गया। पुराने कारखाने की आखिरी निशानी हाइपरबोलिक कूलिंग टावर को ध्वस्त कर दिया गया है। सेल आईएसपी में स्थित 5 गगन चुम्बी ऐतिहासिक हाइपरबोलिक कूलिंग टावर को नोएडा के ट्विन टावर के तर्ज पर ध्वस्त किया गया। Edifice engineering ने टॉवर को ध्वस्त किया है। बता दें कि इसी स्थान पर 4.2 मिलियन टन का अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट आएगा। आईएसपी का आधुनिकरण और विस्तारीकरण का कार्य यहीं होगा।

इतिहास के पन्ने में क्या है टॉवर के बारे में

कुछ उच्च शिक्षित बंगाली युवा पूरी तरह से विज्ञान की खोज में डूबे थे। ऐसे ही एक व्यक्ति थे बीरेन मुखोपाध्याय। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वह स्टील फैक्ट्री बनाने की योजना के साथ देश वापस आए।

तदनुसार, दामोदर की अनुमानित रूपरेखा तैयार की गई। श्रीमान की देख-रेख में फैक्ट्री के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ। 1911-1917 के आसपास, इस अवधि के दौरान पांच हाइपरबोलिक कूलिंग टॉवर बनाए गए थे।

इसका मुख्य कार्य इस्पात उद्योग में उपयोग किये जाने वाले गर्म पानी को ठंडा करना है। इन विशाल इंजीनियरिंग संरचनाओं को करीब से देखने पर आश्चर्य होता है। सदियों पुराने इन स्तंभों से हमारा इतिहास, यादें, भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ ही घंटों में ये खंभे इतिहास के गवाह बनकर धूल में मिल जाएंगे। विदेशी विशेषज्ञ आये हैं। वे पिछले कुछ दिनों से विनाश यज्ञ को सुचारु रूप से संचालित करने में लगे हुए हैं।

करीब 25 करोड़ का खर्च

पुरखों के कारनामों को तोड़ने की फीस के तौर पर करीब 25 करोड़ है। सुरक्षा अधिकारी, फायर ब्रिगेड, प्रशासन युद्धस्तर पर अभ्यास कर रहे हैं। पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। विदेशी विशेषज्ञ बार-बार सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नुकसान या जनहानि न हो।