SAIL चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश को बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने दिखाया आईना, याद आए जैन

Bokaro BAKS shows mirror to SAIL chairman Amarendu Prakash remembers Jain
सेल प्रबंधन को कागजों पर "महारत्न", "ग्रेट प्लेस टू वर्क" या "नैतिक इस्पात निर्माता" बनने के बजाय वास्तव में बड़ा दिल दिखाना चाहिए।

कर्मचारियों की मेहनत से ही कंपनी ने एक समय 16,039 करोड़ रुपये का पीबीटी हासिल किया था।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल कर्मचारियों के लंबित मुद्दों पर बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश को आइना दिखाया है। अध्यक्ष हरिओम ने पूर्व चेयरमैन का जिक्र करते हुए वर्तमान चेयरमैन से बड़ा दिल दिखाने की मांग की है।

हरिओम का कहना है कि 1997 के वेतन संशोधन में सेल प्रबंधन ने 48 माह का बकाया एरियर के रूप में 1417.79 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। उस समय के सेल चेयरमैन वी.एस. जैन ने कंपनी के मुनाफे में आते ही कर्मचारियों के बकाया एरियर का भुगतान सुनिश्चित किया था। इसके विपरीत, वर्तमान चेयरमैन के कार्यकाल में सेल पिछले तीन वर्षों से भारी मुनाफे में है, फिर भी कर्मचारियों के हितों की उपेक्षा हो रही है।

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बीएसएल अनधिकृत कर्मचारी संघ (बीएकेएस) ने सेल प्रबंधन और एनजेसीएस यूनियनों पर तीखा हमला बोला है। 2003 में सेल प्रबंधन ने जनवरी 1997 से दिसंबर 2000 तक के 48 माह के एरियर का भुगतान किया था। उस समय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वेतन समझौता समान रूप से दस वर्ष की अवधि के लिए किया गया था। यह भुगतान 2003 में एडहॉक रूप में किया गया था।

हालांकि, 2017 के वेतन संशोधन में एनजेसीएस यूनियनों की विफलता के कारण न केवल 2% कम एमजीबी और 8.5% कम पर्क्स पर अवैध एमओयू हुआ, बल्कि 19 माह के पर्क्स एरियर का भुगतान भी नहीं किया गया। 39 माह के फिटमेंट एरियर के समझौते के बावजूद, इस पर अभी तक कोई उप-समिति का गठन नहीं हुआ है।

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बीएकेएस ने इस मुद्दे पर प्रिंसिपल बेंच, कैट, दिल्ली में मुकदमा दायर किया है। सेल प्रबंधन ने अपना जवाब दाखिल किया है, जिसके खिलाफ बीएकेएस यूनियन अपनी प्रतिक्रिया तैयार कर रही है।

गौरतलब है कि 1997 के वेतन संशोधन के समय भी सेल भारी घाटे में थी, जैसा कि 2017 में था। लेकिन मुनाफे में आने के बाद, 2003 में सेल प्रबंधन ने 48 माह के एरियर का भुगतान किया था। सेल की वार्षिक रिपोर्ट 2003-04 में इसकी पुष्टि की गई है, जिसमें निम्नलिखित उल्लेख है।

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“कंपनी ने 31.12.1996 को कर्मचारियों के साथ दीर्घकालिक समझौतों की समाप्ति के बाद, 1.1.1997 से 31.12.2000 तक की अवधि के लिए काल्पनिक वेतन वृद्धि के आधार पर फिटमेंट के साथ 1.1.2001 से संशोधित वेतन और मजदूरी समझौते को लागू किया था।

इस अवधि के लिए वेतन और मजदूरी बकाया, परिणामी लाभों सहित, अनुमानित आधार पर 1417.79 करोड़ रुपये (पिछले वर्षों में भुगतान किए गए 422.33 करोड़ रुपये के तदर्थ अग्रिमों के शुद्ध) का भुगतान/प्रावधान किया गया।

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इस राशि को कर्मचारियों के पारिश्रमिक और लाभ (1351.82 करोड़ रुपये) में शामिल किया गया, जबकि स्वैच्छिक सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए आस्थगित राजस्व व्यय (65.97 करोड़ रुपये) के रूप में बट्टे खाते में डाला गया।”
हरिओम ने कहा-सेल प्रबंधन को कागजों पर “महारत्न”, “ग्रेट प्लेस टू वर्क” या “नैतिक इस्पात निर्माता” बनने के बजाय वास्तव में बड़ा दिल दिखाना चाहिए।

कर्मचारियों की मेहनत से ही कंपनी ने एक समय 16,039 करोड़ रुपये का पीबीटी हासिल किया था। जब घाटे का ठीकरा कर्मचारियों पर फोड़कर समय पर वेतन संशोधन नहीं किया गया, तो मुनाफे में कर्मचारियों की मेहनत की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

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