Big News: एम्स रायपुर ने किया पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट, छत्तीसगढ़ का बजा डंका

Big News: AIIMS Raipur did the first swap kidney transplant, Chhattisgarh made a mark
आज तक, एम्स रायपुर ने 95 प्रतिशत की ग्राफ्ट उत्तरजीविता दर और 97 प्रतिशत रोगी उत्तरजीविता दर के साथ 54 किडनी प्रत्यारोपण किए हैं।
  • एम्स रायपुर ने सफलतापूर्वक अपना पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट किया।
  • नए एम्स संस्थानों में प्रथम और छत्तीसगढ़ राज्य का पहला सरकारी अस्पताल बना।
  • इस स्वैप किडनी प्रत्यारोपण से प्रत्यारोपण की संख्या में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
  • एम्स रायपुर मृतक दाता अंग दान और मृतक दाता किडनी प्रत्यारोपण की शुरआत करने वाले नए एम्स में से प्रथम है।
  • यह मृतक दाता बाल चिकित्सा किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने शुभारंभ करने वाला राज्य का पहला एम्स भी है।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मार्गदर्शन में, एम्स रायपुर ने सफलतापूर्वक अपना पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट किया। इसे किडनी पेयर्ड ट्रांसप्लांट (केपीटी) के रूप में भी जाना जाता है।

ये खबर भी पढ़ें: Rourkela Steel Plant: न्यू प्लेट मिल का नया कमाल, प्रोडक्शन का आंकड़ा पार

इस उपलब्धि के साथ, एम्स रायपुर नए एम्स संस्थानों में से पहला और छत्तीसगढ़ राज्य का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जिसने इस जटिल और जीवन रक्षक प्रक्रिया को अंजाम दिया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने और अंतिम चरण के किडनी रोग से पीड़ित रोगियों के लिए अभिनव उपचार समाधान प्रदान करने की दिशा में संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

ये खबर भी पढ़ें: SAIL News: सभी प्लांट के सेफ्टी & फायर सर्विस प्रमुखों का भिलाई स्टील प्लांट में जमावड़ा, पढ़ें डिटेल

अनुमान है कि इस स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट से ट्रांसप्लांट की संख्या में 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसकी क्षमता को पहचानते हुए, राष्ट्रीय संगठन और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वैप डोनर ट्रांसप्लांटेशन के कार्यान्वयन की सिफारिश की है क्योंकि इस विकल्प से डोनर की संख्या बढ़ सकती है। एनओटीटीओ ने देश भर में इन प्रत्यारोपणों को अधिक प्रभावी ढंग से सुविधाजनक बनाने के लिए एक ‘समान एक राष्ट्र एक स्वैप प्रत्यारोपण कार्यक्रम’ शुरू करने का भी निर्णय किया है।

ये खबर भी पढ़ें: Bhilai Steel Plant: सेक्टर 9 हॉस्पिटल को मिली नई सौगात, डीआइसी ने काटा फीता

स्वैप प्रत्यारोपण में, किडनी की खराबी से पीड़ित एक रोगी इच्छुक जीवित दाता होने के बावजूद रक्त समूह के अलग होने या एचएलए एंटीबॉडी की उपस्थिति के कारण किडनी प्राप्त नहीं कर सकता अब इस प्रत्यारोपण के माध्यम से किसी अन्य अन्य असंगत स्थिति के साथ दाताओं का आदान-प्रदान करके प्रत्यारोपण करवा सकता है। इस व्यवस्था के माध्यम से, दोनों प्राप्तकर्ताओं को उनके अनुकूल किडनी मिलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप दोनों के लिए सफल प्रत्यारोपण किया जा सकता है।

ये खबर भी पढ़ें: संविधान बचाओ रैली-सम्मेलन: पूर्व सीएम भूपेश बघेल पहुंचे भिलाई बौद्ध विहार, लिया तैयारियों का जायजा

एम्स रायपुर में हासिल इस ऐतिहासिक उपलब्धि में, बिलासपुर के 39 और 41 वर्षीय दो पुरुष ईएसआरडी रोगी तीन वर् से डायलिसिस पर थे। दोनों को किडनी प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी गई थी। उनकी संबंधित पत्नियां जीवित दाताओं के रूप में आगे आईं।

ये खबर भी पढ़ें: CG Big News: सीएमएआई के साथ एमओयू साइन, देश का नया टेक्सटाइल हब बनेगा छत्तीसगढ़

हालांकि, रक्त समूह असंगति यानी एक जोड़ी में बी+ और ओ+, और दूसरी में ओ+ और बी+- के कारण सीधे दान संभव नहीं था। इस चुनौती से निपटने के लिए, एम्स रायपुर में प्रत्यारोपण टीम ने एक सफल स्वैप प्रत्यारोपण का समन्वय किया। प्रत्येक दाता ने अपनी किडनी दूसरे प्राप्तकर्ता को दी, जिससे रक्त समूह की संगतता सुनिश्चित हुई और दोनों रोगियों को जीवन रक्षक अंग प्राप्त करने में सहायता मिली। रोगियों की शल्य चिकित्सा 15 मार्च 2025 को की गई थी और सभी चार व्यक्ति- दाता और प्राप्तकर्ता दोनों- वर्तमान में प्रत्यारोपण आईसीयू में कड़ी निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं

ये खबर भी पढ़ें: ईपीएस 95 न्यूनतम-हायर पेंशन चाहिए तो भेजिए EPFO, श्रम मंत्री, PMO को लेटर, ये है फॉर्मेट

स्वैप प्रत्यारोपण टीम में डॉ. विनय राठौर (ट्रांसप्लांट फिजीशियन); डॉ. अमित आर. शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल और डॉ. सत्यदेव शर्मा (ट्रांसप्लांट सर्जन); डॉ. सुब्रत सिंहा, डॉ. मयंक, डॉ. जितेंद्र और डॉ. सरिता रामचंदानी (एनेस्थिसियोलॉजिस्ट) और अन्य प्रत्यारोपण सह-समन्वय टीम के सदस्य और ओटी एवं प्रत्यारोपण नर्सिंग स्टाफ शामिल थे।

ये खबर भी पढ़ें: Breaking News: एक्स सर्विसमैन बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारी की मौत, पोस्टमार्टम पर विवाद

एम्स रायपुर ने छत्तीसगढ़ में अंग प्रत्यारोपण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान ने सफलतापूर्वक गुर्दा प्रत्यारोपण कार्यक्रम विकसित किया है, जिसमें जीवित और मृत दाता दोनों प्रत्यारोपण शामिल हैं। पिछले दो वर्षों में छह मृत दाताओं ने अपने अंग दान किए हैं।

ये खबर भी पढ़ें: कोल इंडिया न्यूज: वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने दिखाया बड़ा दिल, ब्लड सेंटर को दी 169.26 लाख की सौगात

एम्स रायपुर मृतक दाता अंग दान और मृतक दाता किडनी प्रत्यारोपण का शुभारंभ करने वाले नए एम्स में से प्रथम है। यह मृतक दाता बाल चिकित्सा किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने वाला राज्य का पहला एम्स भी है।

ये खबर भी पढ़ें: Chhattisgarh News: रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर-कोरबा में दौड़ेगी 240 ई-बस, ये तैयारी

आज तक, संस्थान ने 95 प्रतिशत की ग्राफ्ट उत्तरजीविता दर और 97 प्रतिशत की रोगी उत्तरजीविता दर के साथ 54 किडनी प्रत्यारोपण किए हैं। यह संस्थान की नैदानिक उत्कृष्टता और उच्च गुणवत्तायुक्त रोगी देखभाल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ये खबर भी पढ़ें: #PahalgamTerrorAttack: पहलगाम आतंकी हमले में रायपुर के दिनेश मिरानिया की गई जान, मुख्यमंत्री-राज्यपाल दुखी