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Bhilai Steel Plant: कोयला और PCM तेल का उपयोग कम, वेस्ट हीट से बिजली प्रोडक्शन 15.9% बढ़ा, 48.2 करोड़ की बचत

Bhilai Steel Plant: कोयला और  PCM तेल का उपयोग कम, वेस्ट हीट से बिजली प्रोडक्शन  15.9% बढ़ा, 48.2 करोड़ की बचत
  • कोयले की खरीद पर होने वाले लगभग 4.2 करोड़ रुपये की नकद बचत। 
  • कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन को लगभग 1.3 लाख टन तक कम करने में भी मदद मिली।
  • पावर एंड ब्लोइंग स्टेशन विभाग (पीबीएस) बीएसपी के कैप्टिव पावर प्लांट का संचालन करता है। कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान 61.47 मेगावाट का अब तक का उच्चतम कैप्टिव बिजली उत्पादन हासिल किया गया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भारत सरकार (Indian Govt) ने वर्ष 2030 तक ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन (‘Net zero’ carbon emissions) प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके अनुरूप सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, अपने कार्बन फुटप्रिंट में सुधार के लिए पर्यावरण अनुकूल उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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इस उद्देश्य के अनुरूप, भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) में फोसिल फ्यूल अर्थात जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम किया जा रहा है और साथ ही संयंत्र के भीतर स्टील निर्माण की प्रक्रिया के दौरान बाय-प्रोडक्ट के रूप में निर्मित गैसों का अधिकाधिक उपयोग करने के लिए समग्र प्रयास किए जा रहे हैं।

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बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने के लिए, बीएसपी का लक्ष्य मौजूदा सुविधाओं से कम से कम लागत में पर्यावरण अनुकूल तरीके से उत्पादन को बढ़ाना है।

पावर एंड ब्लोइंग स्टेशन विभाग (पीबीएस) (Power and Blowing Station Department (PBS)) जो बीएसपी के कैप्टिव पावर प्लांट का संचालन करता है, इस एजेंडे पर कार्य करने के लिए अग्रणी रहा है। कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान 61.47 मेगावाट का अब तक का उच्चतम कैप्टिव बिजली उत्पादन हासिल किया गया।

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यह वर्ष 2022 के दौरान हासिल किए गए पिछले उच्चतम 53.02 मेगावाट पावर जेनरेशन से 15.9 प्रतिशत अधिक है और इसके परिणामस्वरूप बीएसपी को लगभग 48.2 करोड़ रुपये की लागत बचत हुई।

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पावर एंड ब्लोइंग स्टेशन और भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए यह गर्व का विषय है कि ज्यादातर ब्लास्ट फर्नेस गैस, कोकओवन गैस और एलडी गैस जैसी इन-हाउस गैसों के उपयोग से यह उपलब्धि हासिल की गयी है।

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कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन को भी किया कम

वर्ष 2023 के दौरान जीवाश्म ईंधन (कोयला) का उपयोग भी सबसे कम किया गया था। वर्ष 2022 के दौरान 10126 टन कोयले और वर्ष 2021 के दौरान लगभग 26,000 टन कोयले की तुलना में वर्ष 2023 में केवल 2350 टन कोयले का उपयोग किया गया था।

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इससे कोयले की खरीद पर होने वाले लगभग 4.2 करोड़ रुपये की नकद बचत के साथ ही कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन को लगभग 1.3 लाख टन तक कम करने में भी मदद मिली।

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पीसीएम तेल का उपयोग भी सबसे कम किया

कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान पावर प्लांट में पीसीएम तेल का उपयोग भी सबसे कम किया गया। वर्ष 2022 की 33,247 किलो लीटर खपत की तुलना में वर्ष 2023 में केवल 9,961 किलो लीटर पीसीएम तेल खपत किया गया। इससे बाजार में पीसीएम की अधिक मात्रा को विक्रय कर लगभग 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी संग्रह करने में भी मदद मिली।

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पीबीएस का ध्यान 7 एमटी विस्तारीकरण-आधुनिकीकरण योजना पर

वर्ष 2023 के दौरान पीबीएस का ध्यान संयंत्र के 7 मिलियन टन विस्तारीकरण एवं आधुनिकीकरण योजना के तहत बीएसपी में स्थापित ‘वेस्ट हीट रिकवरी प्रोसेस’ की दक्षता बढ़ाने और इनसे बिजली उत्पादन को अधिकतम करने पर भी केन्द्रित था।

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वर्ष के दौरान कोक ओवन बैटरी-11 में स्थापित बीपीटीजी (बैक प्रेशर टरबो जेनरेटर) और ब्लास्ट फर्नेस-8 के टीआरटी (टॉप रिकवरी टरबाइन) से अब तक का सर्वश्रेष्ठ बिजली उत्पादन क्रमशः 3.36 मेगावाट और 11.20 मेगावाट हासिल किया गया।

वेस्ट हीट रिकवरी से उच्चतम बिजली उत्पादन कोक ओवन बैटरी-11 में सीडीसीपी बॉयलरों के माध्यम से और ब्लास्ट फर्नेस-8 में टॉप ब्लास्ट फर्नेस गैस दबाव के प्रभावी उपयोग से संभव हो सका।

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