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Bokaro Steel Plant: बगैर मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ कमेटी बनाने पर DLC ने ED को भेजा नोटिस

Bokaro Steel Plant: बगैर मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ कमेटी बनाने पर DLC ने ED को भेजा नोटिस

बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने डीएलसी से की थी शिकायत।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के बोकारो स्टील प्लांट से एक बड़ी खबर आ रही है। बगैर मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ कमेटी बनाने पर डीएलसी ने संज्ञान ले लिया है।

बीएसएल प्रबंधन द्वारा झारखंड सरकार से बगैर निबंधित यूनियनों के साथ कमेटी, काउंसिल बनाने के विरुद्ध बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ बोकारो द्वारा की गई शिकायत पर एक्शन हुआ है।

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उप मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय धनबाद ने संज्ञान लेकर बीएसएल अधिशासी निदेशक कार्मिक एवं प्रशासन को नोटिस दिया है। अपने नोटिस मे डीएलसी ने सात दिनों के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि बोकारो इस्पात संयंत्र में सक्रिय कई यूनियनों को झारखण्ड सरकार से मान्यता ही नहीं है। मान्यता नहीं रहने के बावजूद ये यूनियनें तथा उनके प्रतिनिधि बोकारो इस्पात संयंत्र से वार्ता करते हैं तथा कमेटी काउंसिल में भागीदारी करते हैं।

वहीं, दो तीन यूनियनों का दो-दो गुट बगैर यूनियन मान्यता का ही कमेटी में जगह बनाए हुए हैं। पांचों एनजेसीएस यूनियनों की बोकारो इकाई का झारखण्ड सरकार से मान्यता खत्म है।

यूनियन का कहना है कि औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के सेक्शन 3 में स्पष्ट प्रावधान है कि कर्मचारियों के साथ कमेटी काउंसिल का गठन कर उनके मामले का निपटान करना है।

परंतु बोकारो स्टील प्लांट में कई कमेटी काउंसिल का गठन ही नहीं किया गया है, जिसके कारण कर्मचारियों से जुड़े अधिकतर मुद्दों को प्रबंधन के अधिकारियों के भरोसे तथा उनकी मर्जी पर छोड़ दिया गया है। यह औद्योगिक विवाद अधिनियम का सरासर उल्लंघन है।

वहीं, बीएकेएस ने डीएलसी को दिए गए आवेदन में जब तक गुप्त मतदान प्रणाली के तहत रिकॉगनाईज्ड यूनियन का चुनाव नहीं हो जाता है, तब तक बोकारो स्टील प्लांट में निबंधक झारखण्ड सरकार से मान्यता प्राप्त यूनियन को लेकर एक सामूहिक कमेटी काउंसिल बनाने का आवेदन किया गया है, ताकि कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे का हल निकाला जा सके।

हरिओम ने उठाया बड़ा सवाल

बीएकेएस बोकारो के अध्यक्ष हरिओम ने कहा-आश्चर्य की बात है कि श्रम कानून रहते हुए भी बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। जब यूनियनों की मान्यता ही नहीं है तो उनको किस आधार पर कमेटी काउंसिल में जगह दिया गया है।

वहीं, शिकायत निवारण समिति, आवास आवंटन कमेटी काउंसिल का गठन ही नहीं किया गया है। भविष्य निधि कमेटी, कैंटीन कमेटी, सुरक्षा कमेटी में अवैध लोगों को स्थान दिया गया है।