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बोकारो स्टील प्लांट के कार्मिकों की जान जोखिम में, कोई ज़रा इस सड़क पर दे ध्यान

बोकारो स्टील प्लांट के कार्मिकों की जान जोखिम में, कोई ज़रा इस सड़क पर दे ध्यान
  • बीएसएल के 03 नंबर गेट से बसंती मोड़ तक के सड़क तथा सड़क की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। जिस मार्ग से बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के करीब 15 हजार कर्मचारी-अधिकारी व ठेका श्रमिक रोज गुजरते हैं। वही, आज कराह रहा है। अतिक्रमण, अंधेरा, गड्‌ढे और दहशत के साये में कर्मचारी ड्यूटी जाते हैं। बात हो रही, बसंती मोड़ की। जन प्रतिनिधियों के आवास, राष्ट्रीय स्तर और स्थानीय यूनियन के कार्यालय हैं। लेकिन, किसी का ध्यान इस मार्ग पर नहीं जा रहा है कि प्रकाश व्यवस्था करा दी जाए, ताकि कार्मिकों को अपनी जान जोखिम में डालकर सफर तय न करना पड़े। मार्ग सही कर दिया जाए।

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सेल चेयरमैन (SAIL Chairman) अमरेंदु प्रकाश बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के दौरे पर आ रहे हैं। स्वागत के लिए लाखों रुपए बहाए जा रहे हैं, लेकिन-कर्मचारियों की जान को खतरे में डालने से बचाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

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बीएसएल (BSL) के 03 नंबर गेट से बसंती मोड़ तक के सड़क तथा सड़क की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। इस गेट का ही प्रयोग विस्थापित गावों में रहने वाले,सेक्टर 09,08,06D में रहने वाले तथा ज्यादातर ब्लास्ट फर्नेस (Blast furnaces ), स्टील मेल्टिंग शॉप (Steel Melting Shop),कोक ओवन (Coke Oven), सिंटर प्लांट (Sintar Plant) तथा उस क्षेत्र में कार्यरत नियमित और ठेका श्रमिक संयंत्र के अंदर प्रवेश करने के लिए करते हैं।

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तीनों पालियों में यह गेट अपने तय समय से खुलता तथा बंद होता है। समय का अनुपालन भी बहुत अच्छे से होता है। ऐसे में उस तक जाने वाले सड़क का जर्जर होना कितनी दुर्घटनाओं (Accidents) को निमंत्रण देता है। यह आप सब समझ सकते हैं।

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जहां एक ओर किसी बड़े अधिकारी,मंत्री,संतरी के आगमन मात्र के लिए बने हुए रोड को रातों रात बना कर तैयार कर दिया जाता है। पूरी सड़क चमका दी जाती है,जिस मार्ग से गुजरने वाले होते है वैसे में उस मार्ग की रूप रेखा का कायाकल्प भी किया जाता है।

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परंतु जैसे ही आपकी दृष्टि तीन नंबर गेट और बसंती मोड़ वाली सड़क पर पड़ेगी तो आप पाएंगे कि उक्त सड़क में गड्‌ढों की कमी नहीं है। स्ट्रीट लाइट (Street Light) तो दूर वहां पर पोल तक नहीं है। वैसे में उस सड़क का प्रयोग लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर ही करते हैं।

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इतना ही नहीं यदि आप हर काम देश नाम करने वाले श्रमिक है तो द्वितीय पाली में थोड़ा लेट होना भी भरी पड़ सकता है, क्योंकि थोड़ा भी लेट होने पर वो पूरी सड़क सुनसान हो जाती है, जिसका फायदा अपराधिक तत्व के लोग उठाना भी शुरू कर देते हैं। चोरी-छिनैती तथा गोली चलने तक की घटना का साक्षी रहा है यह मार्ग। फिर भी उक्त मार्ग को दुरुस्त करवाने की जिम्मेदारी प्रबंधन तो नहीं निभा रहा है। ऐसे में श्रमिकों को एकमात्र सहारा उनके ईष्ट देवता ही कर रहे है। दूसरा कोई उनकी सुध लेने वाला भी नहीं है।

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