
मुख्य महाप्रबंधक के टेक्निकल एडवाइजर ने समस्या को सुनते ही कहा कि छोटे-मोटे काम के लिए साहब नहीं मिलते हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सीजीएम टाउनशिप गले की हड्डी बन गए हैं। कर्मचारियों ने अब यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि सीजीएम कमरे से बाहर निकलते नहीं है। किसी से मिलते नहीं है। पिछले दिनों महिलओं ने बवाल काट दिया था।
टीए के हाथों की कठपुतली बने सीजीएम पर पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने भड़ास निकाली है। आरोप लगाया है कि टाउनशिप CGM के TA ने कहा-छोटे-मोटे काम के लिए साहब नहीं मिलते हैं।
छोटे-मोटे काम के लिए नहीं मिलते हैं साहब। यह शब्द है टाउनशिप के मुख्य महाप्रबंधक के टेक्निकल एडवाइजर का। यह घटना तब घटी जब एक कब्जा वाले आवास के सीपेज एवं दीवार में करंट आने के मामले में कई स्तर पर शिकायत करने के बाद समाधान ना होता देख एक संयंत्र कर्मी अपने सहकर्मी एवं सीटू नेता से शिकायत किया।
इसके पश्चात उस समस्या को लेकर सीटू नेता उक्त कर्मी के साथ नगर सेवाएं विभाग पहुंचे, तो मुख्य महाप्रबंधक के टेक्निकल एडवाइजर ने समस्या को सुनते ही कहा कि छोटे-मोटे काम के लिए साहब नहीं मिलते हैं। यह है मौजूदा समय में हमारे टाउनशिप की स्थिति।
लंबे इंतजार के बाद घटना को सार्वजनिक करने को मजबूर हुआ सीटू
सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-एक अन्य मामले में टाउनशिप विभाग के महाप्रबंधक के संज्ञान में 13 नवंबर 2024 को रिसाली सेक्टर के एक आवास में पानी सप्लाई ठीक नहीं होने की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें पाइप लाइन लीकेज और जमीन के अंदर की लाइन सड़ जाने की पुष्टि कराई थी।
महाप्रबंधक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रिसाली सेक्टर के पी एच ई विभाग के अधिकारी को निर्देशित भी किया। उन्होंने सर्वे भी किया। लेकिन आज 21 अप्रैल तक उस आवास में पानी सप्लाई बहाल नहीं हो सका। फोन पर बात करने पर रिसाली सेक्टर के अधिकारी ने कहा कि अस्थाई रूप से जुगाड़ कर पानी सप्लाई बहाल कर दिया गया है। स्थाई रूप से ठीक करने में समय लगेगा। पहले पूछने पर बताते थे कि जल्द ही आरसी होने वाला है। अब जब आर सी शुरू हो गया है तो अस्थाई रूप से जुगाड़ कर दिया जाता है।
अपने पैसे से घर का काम कराते हैं कर्मी
आवास में रहने वाले कर्मी को आठ घंटे संयंत्र में ड्यूटी करने के बाद घर में पानी सप्लाई ठीक नहीं होने पर टाउनशिप विभाग के प्रति क्या नजरिया बनता होगा? यह इस तरह स्पष्ट होता है कि वह कर्मी छुट्टी लेकर अपने पैसे खर्च कर बाहर से प्लम्बर और कर्मचारी बुला कर पानी सप्लाई बहाल कराया। ऐसे अनेक उदाहरण है कि कर्मचारियों के आवासों के कम्पलेंट पर समय पर कार्यवाही नहीं हो रही है। कर्मचारी हताश और निराश होकर चुप रहता है कि किससे अपनी पीड़ा साझा करें।
ये खबर भी पढ़ें: पॉवर ऑफ अटॉर्नी से फर्जीवाड़ा, मुख्तारनामा का गलत इस्तेमाल, एडवाइजरी जारी
कौन सा बड़ा काम कर रहे हैं सार्वजनिक करें
सीटू जानना चाहता है कि मुख्य महाप्रबंधक किस तरह की बड़ी समस्याओं के लिए मिलने के लिए समय देते हैं, ताकि उसके अनुरूप नगर सेवाएं विभाग के अधीन आने वाले क्षेत्र में पैदा हो रही बड़ी-बड़ी समस्याओं को चिन्हित कर मुख्य महाप्रबंधक को उन समस्याओं से अवगत करा सके।
ज्ञात हो कि मौजूदा मुख्य महाप्रबंधक नगर सेवाएं विभाग के पदभार ग्रहण करने से पहले सीटू ने नगर सेवाएं विभाग को कई महत्वपूर्ण समस्याओं को उल्लेखित करते हुए पत्र दिया था,उसके बाद जब सीटू की टीम मौजूदा मुख्य महाप्रबंधक से मिलने पहुंची तो वहां से यह संदेश दिया गया कि साहब हाल फिलहाल में ही इस पदभार को ग्रहण किए हैं।
इसीलिए वे टाउनशिप की समस्याओं से अवगत नहीं है। आप समस्या को छोड़कर यदि गुलदस्ता भेंट करने मीटिंग करना चाहते हैं तो समय मिल सकता है। सीटू को लगता है कि शायद साहब अभी भी टाउनशिप को समझ नहीं पाए हैं। इसीलिए कार्मिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने से बच रहे हैं।
पहले ऐसा नहीं था नगर सेवाएं विभाग का काम
नगर सेवाएं विभाग का सभी यूनियनों के साथ हमेशा से ना केवल गहरा नाता रहा है, बल्कि कर्मियों के आवास से जुड़े हुए समस्याओं पर खुलकर चर्चा होती रही है। उसका समाधान भी निकाला जाता रहा है। इस तरह की व्यवस्था बनाए रखना नगर सेवाएं विभाग अपनी जिम्मेदारी भी समझता रहा है।
जिसके चलते मुख्य महाप्रबंधक प्रत्येक बुधवार को एक निश्चित समय 11.00 बजे सभी के लिए जनदर्शन कार्यक्रम आयोजित कर समय देते थे। किंतु अभी व्यवस्था कुछ बदली बदली सी नजर आती है।
मुख्य महाप्रबंधक कहते हैं कि काम के ऐस्टीमेशन को बताना जरूरी नहीं है। सीटू के साथ हुई पहली बैठक में कह चुके हैं कि कितने पैसे में काम होता है, अमुक काम में कितना खर्चा होता है, यह सब जानने का अधिकार यूनियन अथवा कर्मियों को नहीं है। मानो जैसी वे कंपनी का पैसा नहीं बल्कि निजी पैसा खर्च कर रहे हैं।
आज भी प्रशासन के जनदर्शन में होता है समस्याओं का समाधान
सीटू नेता ने कहा कि कलेक्ट्रेट में जनदर्शन का कार्यक्रम होता है। आईजी स्तर पर भी लोग अपनी समस्याओं को लेकर बहुत ही सहजता के साथ मिलते हैं। समस्या को रखते हैं, जिस पर संबंधित विभाग को उचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाता है। समाधान भी निकलता है। किंतु ऐसा लगता है कि बीएसपी प्रबंधन के कुछ अधिकारी उन सारे स्तरों से भी ऊपर उठ चुके हैं, जिसके कारण इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।
नए संयंत्र प्रमुख के स्लोगन एथिकल स्टील की धज्जियां उड़ा रहा है नगर प्रशासन सेवाएं विभाग
सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि जब हमारा परिवार घर में सुकून से रहता है, तब हम निश्चिंत होकर अपनी पूरी ऊर्जा उत्पादन में लगाते हैं। नए-नए कीर्तिमान भी स्थापित करते हैं। रात्रि पाली ड्यूटी करने के बाद कई कई दिनों तक कभी-कभी तो महीनो तक नगर सेवाएं विभाग का चक्कर लगाने के बाद भी जब आवास से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं निकलेगा, तब ऐसे में आवास को लेकर कैसे एथिकल स्टील का स्लोगन हैप्पीनेस पूरा होगा।
संयंत्र के नए प्रमुख से बहुत उम्मीदें हैं कि उनके एथिकल स्टील स्लोगन के हैप्पीनेस का सभी विभाग के अधिकारी पूरी दृढ़ता से पालन करेंगे। लेकिन टाउनशिप के अधिकारी हैप्पीनेस स्लोगन की धज्जियां उड़ा रहे हैं।