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SEFI की कानूनी लड़ाई से SAIL के 15000 व BSP के 4000 अफसरों को मिलेगा लाखों रुपए बकाया पर्क्स, सेल बोर्ड सदस्यों के विदेश दौरे का खामियाजा

SEFI की कानूनी लड़ाई से SAIL के 15000 व BSP के 4000 अफसरों को मिलेगा लाखों रुपए बकाया पर्क्स, सेल बोर्ड सदस्यों के विदेश दौरे का खामियाजा

सेफी के प्रयासों से 14 वर्षों से लंबित 11 माह के पर्क्स के एरियर्स भुगतान का रास्ता हुआ साफ। कोलकाता हाईकोर्ट ने सेल की याचिका की खारिज।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेफी चेयरमेन एवं बीएसपी ओए के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में एक लंबा संघर्ष करते हुए 14 वर्षों से लंबित सेल के अधिकारियों को 11 माह के लंबित पर्क्स के एरियर्स भुगतान का रास्ता साफ हुआ।

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गुरुवार को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया। इस प्रकार 14 वर्षों से लंबित सेल के अधिकारियों को 11 माह के लंबित पर्क्स के एरियर्स भुगतान का मार्ग प्रशस्त हुआ।

सेल के 15000 तत्कालीन कार्यपालक होंगे लाभान्वित
सेफी चेयरमेन एवं बीएसपी ओए के अध्यक्ष एनके बंछोर ने बताया कि सेफी के संघर्ष तथा अदालत के इस निर्णय से सेल के लगभग 15000 तत्कालीन कार्यपालकगण तथा बीएसपी के 4000 तत्कालीन कार्यपालकगण लाभान्वित होंगे।

14 वर्ष संघर्ष की लंबी दास्तां
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए सेफी,चेयरमेन एवं बीएसपी ओए के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सबसे पहले सेफी ने सेल में 26-11-2008 से 04-10-2009 के 11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु कैट के समक्ष केस दायर किया था। जिसमे कैट ने आदेश क्रमांक ओए/350/00191/2014 दिनांक 15.02.2016 द्वारा सेफी के पक्ष में आदेश दिया था। जिसे सेल प्रबंधन ने कैट के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय कोलकाता में चुनौती दी थी।

सेल के तत्कालीन उच्च प्रबंधन की लापरवाही
कैट द्वारा आवश्यक आदेश पारित करने के बावजूद सेल प्रबंधन ने इस मुद्दे को लटकाने व भटकाने का पूरा प्रयास किया है। जिसके फलस्वरूप अधिकारियों को अपने वाजिब हक की राशि अब तक नहीं मिल पाया था।

विदित हो कि यह मुद्दा तत्कालीन सेल प्रबंधन के लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है। सरकार के दिशानिर्देश के तहत इस भुगतान को करने के लिए सेल प्रबंधन को अप्रैल 2008 में बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर मंत्रालय को प्रेषित करना था।

परंतु विडम्बना यह है कि उस वक्त के तत्कालीन सेल का, उच्च प्रबंधन यूरोप भ्रमण में व्यस्त था। जिसके कारण उन्होंने सरकारी दिशानिर्देश के तहत दिए गए समय सीमा के भीतर इस प्रस्ताव को रखने में देरी की। जबकि उस वक्त सेल के पास हजारों करोड़ रूपये का सरप्लस राशि उपलब्ध थी।

सेल के तत्कालीन उच्च प्रबंधन के लापरवाही की खामियाजा आज भी सेल के अधिकारी भुगत रहे हैं। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड(आरआईएनएल)ने तत्काल कार्यवाही करते हुए बोर्ड मीटिंग में इस प्रस्ताव को पारित कर अपने अधिकारियों को पूरा लाभ दिलाया।

निराकरण के लिए निरंतर दौड़
सेफी के चेयरमैन नरेन्द्र बंछोर ने इस मुद्दे के निराकरण के लिए इस्पात सचिव से लेकर विभिन्न मंत्रालय तक दौड़ लगाई और आवश्यक हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, जिससे अधिकारियों को उनके न्यायसंगत हक दिलाया जा सके। अंततः कानूनी लड़ाई लड़ी। 13 सितंबर को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया।

सेफी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवतोष मजूमदार ने बड़ी मजबूती से सेफी का पक्ष रखा । सेफी के चेयरमेन नरेन्द्र बंछोर ने इस मुद्दे के निराकरण हेतु देवाशिष लहरी, पूर्व महासचिव, सेफी का विशेष आभार माना है।