
- ईपीएस 95 पेंशनभोगियों की मांग को दबाने के लिए सरकार बोलती है वित्तीय भार पड़ेगा।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995): ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन और हायर पेंशन विवाद ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पेंशनभोगी लगातार सवाल दाग रहे हैं। एक के बाद एक कमेंट पेंशनर्स की तरफ से आ रहे हैं।
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पेंशनभोगी जॉन सी. सानंदम ने कहा-यदि कुछ हासिल नहीं हुआ तो इस लेख को लिखने का उद्देश्य क्या है? हमें न्याय दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से प्रयास क्यों नहीं किया जाता?
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वहीं, विमल चंद जैन का मत है कि सरकार सांसदों को कई पेंशन एक साथ बिना योगदान दिए दे रही है। संसदो के वतन या पेंशन बैक डेट पर है। 01-4-2023 से बढ़ा दिया गया है। तब सरकार पर कोई वित्त भार नहीं पड़ता है। ईपीएस95 पेंशन सदस्य जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई में से ईपीएस योगदान दिया है, उनका पेंशन बढ़ाने पर सरकार पर वित्तीय भार की बात कही जा रही है।
कमलकन्नन संबंधम ने कहा-इस बहुत बड़े लोकतांत्रिक देश में ईपीएफओ कर्मचारियों के लिए कोई न्याय नहीं है। सभी विधायक और सांसद खुद ही सेवानिवृत्ति के बाद अपनी पेंशन बढ़ा रहे हैं, सभी ईपीएफओ कर्मचारी गंभीर और कई समस्याओं की मांग कर रहे हैं।
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पेंशनर नरेश प्रसादशो का कहना है कि आप लोक मोदी माला जपते रहो…। मौज मस्ती करते रहो। ईपीएस 95 पेंशन के नाम पर सीनियर सिटीजन को गुमराह करते रहो। 10 साल से ग़ुहार लगाया जा रह है। ईपीएस 95 पेंशन को लेकर पीएम आफिस तक सब लोग हो आए। रिजल्ट क्या निकला।
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