
- जन प्रतिनिधि एक भी रुपया योगदान किए बिना उच्च पेंशन का आनंद ले रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। Employees Pension Scheme 1995: ईपीएस 95 पेंशन को लेकर एक बार फिर पेंशनर ने गुस्सा जाहिर किया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) और केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग की जा रही है।
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सोशल मीडिया (Social Media) पर पेंशनर्स क्या बोल रहे हैं और क्या सोच रहे हैं। इसकी झलक आपको इस न्यूज में पढ़ने को मिलेगी। एक पेंशनर ने कहा-पेंशन के रूप में मिलने वाली चंद राशि सिर्फ पेंशन नहीं होती है, बल्कि वह बुढापे की ऐसी चादर है, जिससे पेंशनर इज़्ज़त को ढकते हैं, ताकि बच्चे बोझ न समझें। इस पर पेंशनभोगी सनत रावल लिखते हैं-लेकिन भाजपा-एनडीए गरीब ईपीएस-95 पेंशनभोगियों-वरिष्ठ नागरिकों की पीड़ा को नहीं समझ सकती।
शंकर लाल चक्रवर्ती ने कहा-यह कथन सांसदों के लिए नहीं है, क्योंकि वे…एक भी रुपया योगदान किए बिना उच्च पेंशन का आनंद ले रहे हैं। इसी तरह नरेंद्र कुमार ने कहा-सरकार पर शर्म आती है। सभी राजनेता सार्वजनिक धन का आनंद लेते हैं। वे मासिक पेंशन अंशदान जमा करने का दर्द नहीं जानते। लेकिन पेंशन जरूर लेते हैं।
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लेकिन ईपीएस 95 पेंशनभोगी (EPS 95 Pensioners) 20 साल से अधिक समय तक योगदान करने के बाद 1000 से 3000 पाते हैं। नियम कैसा है? पीएफ संगठन और उसके कर्मचारियों और अधिकारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर पेंशन लेने पर शर्म आनी चाहिए। यह कैसा नियम है।
पीएफ संगठन भी एक सरकारी निकाय है। लेकिन उन्हें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर पेंशन मिलती है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, लोकपाल और सभी विपक्षी नेताओं पर क्या बोला जाए। क्योंकि कुछ सांसदों को छोड़कर उनके पास आवाज उठाने के लिए कोई नहीं है।
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खास तौर पर कर्नाटक के सांसद इस मामले की परवाह नहीं करते। उन्हें लगता है कि यह मामला उनसे संबंधित नहीं है। हम इन स्वार्थी नेताओं के आभारी हैं।
रमेश गौतम ने कहा-जब भी चुनाव होता है, तो कोई भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए कुछ नाटक करते हैं और हर बार कहते हैं कि मैं कड़ी कार्रवाई करने जा रहा हूं। क्या वह हमें बता सकते हैं कि उन्होंने अब तक पुराने ईपीएस सदस्यों को मूर्ख बनाने के अलावा और कौन सी कड़ी कार्रवाई की है।
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