Employees Pension Scheme 1995: ईपीएफओ, ट्रेड यूनियन ऊंची दुकान-फीका पकवान

Employees Pension Scheme 1995: Pensioners' anger on EPFO, trade unions, minimum-higher pension dispute
शुक्र मानिए कि आप उन लाखों EPS 95 के पेंशनरों से ज्यादा भाग्यशाली हैं जो न्याय की आशा लिए इस दुनियां से रुखसत हो चुके हैं।
  • EPS 95 पेंशनभोगी को तो 1000 की पेंशन सरकार शायद पर्याप्त मान बैठी है।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995: ईपीएस 95 हायर पेंशन और न्यूनतम पेंशन। दोनों पेंशन का मामला उलझा हुआ है। पेंशनभोगी केंद्र की मोदी सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ पर सवाल दाग रहे हैं। पिछले 8 साल से आंदोलन चल रहा है। लेकिन, रिजल्ट शून्य है। ऐसे हालात में पेंशनर्स को सब्र रखने और खुश रहने का मंत्र दिया जा रहा है।

ईपीएस 95 राष्ट्रीय पेंशन संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष Anil Kumar Namdeo ने पेंशनर्स की दुखती रगों पर हाथ रखा है। उन्होंने EPS 95 के सेवानिवृत्त लोगों से कहा है कि मस्त रहो स्वास्थ रहो खुश रहो…। आपने सभी ने गौर किया होगा कि हमारे पूर्व और वर्तमान के श्रम संगठनों के नेताओं की वास्तविक तस्वीर कितनी साफ नजर आ रही है।

इस सच्चाई से अब शायद कोई इनकार नहीं करेगा कि अब श्रम संगठन “ऊंची दुकान फीके पकवान” मानिंद नजर आ रहीं हैं। माना कि सेवानिवृत्त बंधु और उनके कल्याण के उद्देश्य से सेवनिवृत्तों की भारतीय खाद्य निगम में अनेक एसोसिएशन उक्त संस्था के नामचीन पूर्व नेताओं के करकमलों से विगत एक दशक पूर्व स्थापित किये जा चुके थे, पर शायद उनकी संस्थाओं के माध्यम से किसी एक भी समस्या का समाधान किया गया हो या कल्याण जैसे कोई बात देखने में आई हो।

कहा नहीं जा सकता और कुछ होता भी कैसे। पूर्व नेताओं का अहम जैसे पहले था, सेवानिवृत होने के बाद भी जस का तस कायम है। कॉमन मुद्दों पर इनमें न पहले एकता रही, न आज देखी गई। अगर वर्तमान कार्यरत कर्मचारियों के श्रम संगठनों पर नजर घुमाई जाए तो कहना अतिश्योक्ति न होगा। शायद उनमें जुझारू होने के गुण बचे ही नहीं।

मान्यता प्राप्त संगठन के पास असीम कानूनी सुरक्षा और अधिकार होने के बावजूद प्रबंधन से सेवनिवृत्तों की समस्याओं को छोड़ भी दिया,तो उतनी हिम्मत दिखाई नहीं देती कि कार्यरत कर्मचारियों की जायज मांगों पर चर्चा कर सकें।

पदोन्नति पर FCI (staff) Regulation 1971 के REGULATION 82 के प्रावधानों के अनुसार वेतन निर्धारण से आज भी कर्मचारी वंचित हैं। PRMS हो या FCIDCPS या फिर 2014 पूर्व सेवनिवृत्तों के HIGHER PENSION की पात्रता का विवाद हो। न तो निगम प्रबंधन अपना दायित्व मानती न श्रम संगठन। कुल मिलाकर आपके पास अपना कोई GOD FATHER ही नहीं है।

न समय आपके साथ है न भाग्य। खाद्य निगम के सेवनिवृत्तों सहित अन्य संस्थाओं के लोगों को 7500 न्यूनतम पेंशन पाने की आशा की ज्योत मन में जला रखी है। इस मामले में भी कमांडर अशोक राउत के नेतृत्व में NAC नामक संस्था विगत 10 वर्षों से सतत संघर्षरत है, पर शायद सब कुछ सरकार के दया धर्म पर आश्रित नजर आता है।

EPS 95 के सेवनिवृत्तों को तो 1000 की पेंशन सरकार शायद पर्याप्त मान बैठी है। जब तक जिंदा हैं, शुक्र मानिए कि आप उन लाखों EPS 95 के पेंशनरों से ज्यादा भाग्यशाली हैं जो न्याय की आशा लिए इस दुनियां से रुखसत हो चुके हैं। इसीलिए ठीक तो यही होगा कि “मस्त रहो स्वस्थ रहो…।”