
- इस तरह के आश्वासन से कोई अतिरिक्त दायित्व उत्पन्न होता है, तो संसद की मंजूरी भी आवश्यक है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) और केंद्र सरकार पेंशनभोगियों के निशाने पर हैं। जुबानी तीर जमकर चलाए जा रहे हैं। पेंशनभोगियों का कहना है कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के अलावा कोई भी ठोस आश्वासन नहीं दे सकता।
ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) 7500 रुपए करने के लिए फंड की जरूरत है। पेंशनर रामकृष्ण पिल्लई ने कहा-यदि इस तरह के आश्वासन से कोई अतिरिक्त दायित्व उत्पन्न होता है, तो संसद की मंजूरी भी आवश्यक है, क्योंकि भारत की समेकित निधि से कोई भी पैसा खर्च करने के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक है।
श्रम मंत्रालय वित्त मंत्री के माध्यम से कैबिनेट को एक प्रस्ताव भेज सकता है, जिसकी सहमति इतने बड़े वित्तीय निहितार्थों को मंजूरी देने के लिए कैबिनेट के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी मामले में, बहुत अधिक उम्मीद न करें, जब तक कि योजना को उस सीमा तक संशोधित न किया जाए।
उन्होंने ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) आंदोलन पर कहा-उनकी सलाह है कि यदि आप एक बोल्ट को कुछ अलग से अधिक कसते हैं, तो बोल्ट टूट जाएंगे। हम बहुत छोटे समूह हैं, पूरे भारत में बसे हुए हैं। हम और अधिक मजबूत हो सकते हैं, यदि हम सेवा में रहने वाले सदस्यों को शामिल कर सकते हैं। सरकार अधिक मजबूत है। इसलिए हमें लचीलापन अपनाना चाहिए। लोकतंत्र में ख़त्म होना और लेना हमारी नीति होनी चाहिए।
पेंशनभोगी जॉनसन संथाकुमार का कहना है कि अगर मैं सही हूं, तो यह नवीनतम आश्वासन 87वां है। मेरी गिनती के अनुसार, कई मंत्रियों, सचिवों और अनगिनत शीर्ष राजनीतिक नेताओं को वर्ष 2000 से इस तरह का आश्वासन दिया गया था, उनके अनुसार हम पेंशनभोगी उनमें से नंबर एक हैं।
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आज तक बहुत से लोग स्वर्ग पहुँच चुके हैं और बाकी लोग एक-एक करके जल्दी ही मंजिल पर पहुँच जाएँगे। हमारी उम्र डंडा लेने के लिए उपयुक्त नहीं है। भगवान हमारे प्रिय प्रधानमंत्री और सरकार को आशीर्वाद दें।