
- 1000 की दर को पच्चीस हजार रुपए कर दिया पंजीयन विभाग ने। विष्णु का सुशासन या स्व शासन?
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। छत्तीसगढ़ सरकार की सुशासन नीति पर सवाल उठा दिया गया है। जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के प्रवक्ता जावेद खान ने सुशासन की सरकार के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का ध्यान वाणिज्यिक कर एवं पंजीयन विभाग के उस आदेश की ओर इंगित करवाया है, जिसके तहत अगर सब रजिस्ट्रार होम विजिट पर घर जा कर दस्तावेज का पंजीयन करते हैं तो पूर्व में जो शुल्क हजार रुपए लिया जाता था, उसको बढ़ा कर पच्चीस हजार रुपए कर दिया गया है।
इसको देखने से यह प्रतीत होता है कि विष्णु देव साय की सुशासन की सरकार का ये कौन सा मानवीय चेहरा है, जो मजबूरी का फायदा उठा कर सरकार की जेब भर रहा है। अमूमन रजिस्ट्री के लिए होम विजिट का आप्शन वही मांगेगा, जो विकलांग या बिस्तर पर पड़ा हुआ मरीज़ हो।
या मजबूर हो, जो पंजीयन विभाग में जा कर खड़ा हो कर हस्ताक्षर करने में सक्षम ना हो। लेकिन विष्णु देव सरकार ने ये भी नहीं सोचा और मजबूरी का फायदा उठाते हुए एक हजार की दर को पच्चीस गुणा बढ़ाकर पच्चीस हजार रुपए कर दिया।
जावेद खान ने कहा-इसके अलावा आवास के पंजीयन में पंजीयन शुल्क का चार प्रतिशत लिया जाना कतई न्यायसंगत नहीं है। पूर्व की कांग्रेस सरकार में कलेक्टर गाइड लाइन मूल्य में तीस प्रतिशत की कमी की गयी थी और आवास के लिए पंजीयन शुल्क दो प्रतिशत लिया जाता था। वह इसलिए की सभी प्रदेशों की सरकार का मूल ध्येय आवास को प्रोत्साहित करना होता है ताकि गरीब आदमी अपना खुद का आवास ऋण लेकर बनवा सके।
इसलिए पंजीयन शुल्क भी कम रखा जाता था। लेकिन विष्णु देव साय सरकार ने सुशासन के नाम पर यहां भी आवास धारकों को चूना लगा दिया। अब गाइड लाइन मूल्य भी सौ प्रतिशत देना होता है और पंजीयन शुल्क भी चार प्रतिशत लग रहा है। इतना सब होने के बाद भी भाजपा इसे सुशासन की सरकार बता रही है।
आखिर सुशासन की सरकार का ये कौन सा मानवीय चेहरा है, जो बिस्तर पर पड़े मरीजों और विकलांगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए एक हज़ार की दर को पच्चीस हज़ार करना पड़ा। ऐसा प्रतीत होता है कि महतारी वंदन का पैसा पंजीयन विभाग के माध्यम से ही वसूला जा रहा है।
इस संबंध में कांग्रेस प्रवक्ता जावेद खान ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, वित्त मंत्री ओपी चौधरी और स्थानीय संवेदनशील विधायक रिकेश सेन को पत्र के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर मांग की है कि जन हित में सुशासन की परिभाषा को ध्यान मे रखते हुए आवास के लिए पंजीयन शुल्क और होम विजिट की दर को कम किया जाए।