
- विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण और प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम।
- संकल्प लिया कि वे दैनिक जीवन में प्लास्टिक बैग का उपयोग नहीं करेंगे।
- संयंत्र क्षेत्र की कैंटीनों में चाय, नाश्ता या अन्य सामग्री के क्रय-विक्रय में प्लास्टिक बैग एवं पेपर चाय कप रोकने का अभियान चलेगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन (DEA), भिलाई द्वारा एक विशेष आयोजन कर पर्यावरण-संरक्षण का सशक्त संदेश दिया गया। यह आयोजन जयंती स्टेडियम के सामने स्थित खुले परिसर में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में इंजीनियर्स, अधिकारीगण, कर्मचारी, पर्यावरण प्रेमी तथा स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
वृक्षारोपण से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक वृक्षारोपण से हुई, जिसमें छायादार, औषधीय और फलदार पौधों का चयन किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित उपस्थित सभी लोगों ने मिलकर अनेक फलदार व छायादार पौधे रोपे। पौधरोपण के दौरान यह संदेश दिया गया कि प्रत्येक पौधा भविष्य की ऑक्सीजन और धरती के तापमान नियंत्रण का माध्यम है।
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प्लास्टिक बैग के दुष्प्रभावों पर चर्चा
कार्यक्रम का दूसरा महत्वपूर्ण भाग रहा “प्लास्टिक प्रदूषण पर जन-जागरूकता”। वक्ताओं ने बताया कि प्लास्टिक बैग न केवल मिट्टी की उर्वरता को नष्ट करते हैं, बल्कि जल स्रोतों में प्लास्टिक माइक्रोपार्टिकल्स पहुंचकर गंभीर जल-प्रदूषण का कारण बनते हैं। प्लास्टिक के संपर्क में आने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कैंसर, हार्मोन असंतुलन, त्वचा रोग आदि उत्पन्न हो सकते हैं।
अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा, “प्लास्टिक का उपयोग जितना आसान लगता है, उससे कहीं अधिक जटिल इसके दुष्परिणाम हैं। अगर आज हम नहीं चेते, तो आने वाली पीढ़ियाँ केवल प्रदूषित पर्यावरण ही पाएँगी।”
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“नो-प्लास्टिक बैग” का लिया गया संकल्प
सभी उपस्थित प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे दैनिक जीवन में प्लास्टिक बैग का उपयोग नहीं करेंगे। विशेष रूप से संयंत्र क्षेत्र की कैंटीनों में चाय, नाश्ता या अन्य सामग्री के क्रय-विक्रय में प्लास्टिक बैग एवं पेपर चाय कप( क्योंकि इसके अंदर भी पतली प्लास्टिक फिल्म मौजूद रहती है।) के प्रयोग को बंद करने हेतु जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
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अध्यक्ष ने यह भी कहा कि, “यह सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि आने वाले कल के लिए एक नई सोच की शुरुआत है। यदि हम अपने व्यवहार में छोटे परिवर्तन करें-जैसे कपड़े या जूट के थैलों का उपयोग तो यह एक बड़ी क्रांति बन सकती है।”
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समुदाय से संवाद और भागीदारी का आह्वान
कार्यक्रम के अंत में एसोसिएशन द्वारा जयंती स्टेडियम प्रांगण में उपस्थित लोगों से अपील की गई कि वे न केवल स्वयं प्लास्टिक बैग का त्याग करें, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। सभी विभागों व कैंटीन संचालकों से सहयोग की अपेक्षा जताई गई ताकि संयंत्र क्षेत्र को एक “प्लास्टिक-मुक्त मॉडल क्षेत्र” के रूप में विकसित किया जा सके
डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन, भिलाई ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनका उद्देश्य केवल तकनीकी सेवा नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दायित्वों का भी निर्वहन करना है। क्योंकि प्रथम सुख निरोगी काया ही सत्य है, उससे ज़रूरी कुछ भी नहीं है।