अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: CITU ने महिला कामगारों को कार्यस्थल पर दी बधाई

International Women's Day: CITU congratulates women workers at workplace
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समानता के लिए संघर्ष करने का प्रण लेने का दिन है। सीटू पदाधिकारियों ने विभागों में किया महिलाओं को सम्मानित।
  • कॉरपोरेट घरानों के मुनाफा की गारंटी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से श्रम कानून में परिवर्तन कर समान काम के समान वेतन के अधिकार को भी सरकार छीन लेना चाहती है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर आज सीटू की टीम ने इस्पात भवन एवं एचआरडी सेंटर पहुंचकर वहां के महिला कामगारों से मिलकर बधाई दी एवं कहा कि यह केवल बधाई एवं शुभकामनाओं तक सीमित रखने का दिन नहीं बल्कि असमानता के खिलाफ समानता के लिए संघर्ष करने का प्रण लेने का दिन है।

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इसीलिए 8 मार्च को मनाया जाता है महिला दिवस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के समानाधिकार अर्जित करने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से सन 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेग शहर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी नारी सम्मेलन से क्लारा जेटकिन ने दुनियां भर में 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में पालन का आव्हान किया था।

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महिलाओं के समानाधिकार का संघर्ष

8 मार्च के दिन को इसलिए चुना गया था क्यों की सन 1908 के 8 मार्च को न्यूयॉर्क शहर में टेलरिंग (दर्जी) के काम करने वाली महिला श्रमिकों ने वयस्क महिलाओं को मतदान के अधिकार की मांग पर जुलूस निकालकर अपनी आवाज को बुलंद किए थे। क्योंकि उस दौर में महिलाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं हुआ करता था।

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लैंगिक असमानता रिपोर्ट 2024 के अनुसार भारत 129वें स्थान पर

सीटू नेता ने कहा कि हमारे देश की सरकार का नारा है”बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” लेकिन किंतु इस नारे की असमानता एवं भेदभाव हर क्षेत्र में दिखता है। हमारा देश भी लैंगिक असमानता (annual gender gap report) 2023 के रिपोर्ट के अनुसार दुनियां के 146 देशों के भारत का स्थान 127वें स्थान पर था जो दो स्थान गिरकर अब 129वें स्थान पर है।

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इसके खिलाफ समानता के लिए संघर्ष जरूरी है। कार्ल मार्क्स ने 1864 में पहला अंतर्राष्ट्रीय में कहा था महिलाओं के बिना मजदूर वर्ग का आंदोलन नही हो सकता है।महिला दिवस महिलाओं के समानाधिकार के संघर्ष को तेज करने के लिए संकल्प लेने का दिवस है।

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महिला विरोधी सरकार के खिलाफ है हमारा संघर्ष

महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा आज देश के सत्ता में वो ताकत काबिज है जो महिलाओं के समानाधिकार और स्वतंत्रता के घोर विरोधी है जो उनके कथनी एवं करनी में स्पष्ट दिखता है पिछले दिनों पहलवान बेटियों के लड़ाई में भी दिखा।

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वे नारियों को घर के चार दीवारों तक ही सीमित कर सिर्फ संतान उत्पादन के मशीन के रूप में रखना चाहते है।उनके अनुसार शैशव काल में नारियों को पिता, युवावस्था में पति और वृद्धावस्था में पुत्र उनकी देखभाल करेगा। नारियों की कोई स्वतंत्रता नही होगी। पति का अनुसरण करना और पति को संतुष्ट करना ही नारी का परम धर्म है और इसी से उन्हें स्वर्ग लाभ होता है। यह लोग संपत्ति पर महिलाओं को अधिकार देने के विरोधी है।

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महिला दिवस केवल शुभकामनाओं का नहीं बल्कि संघर्षों का देता है संदेश

सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा-महिला दिवस को बहुत से लोग सिर्फ शुभकामनयों,बधाई तक सीमित रख देना चाहते है वे महिलाओं के शोषण,उत्पीड़न को ही जीवित रखना चाहते है। सिर्फ एक निर्दिष्ट दिन पर महिलाओं के लिए कुछ कार्यक्रम आयोजित कर वे महिला दिवस के उस संघर्ष को ही भुला देना चाहते है। किंतु सच्चाई यह है कि यह दिन समानता के लिए संघर्ष करने का प्रण लेने का दिन है ।

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आज भी समान काम के लिए समान वेतन से वंचित हैं महिलाएं

देश के बेरोजगारी की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। ग्रामीण रोजगार में महिलाओं की स्थिति और भी भयावह है।ज्यादातर काम अस्थस्यी प्रकृति के होने के कारण महिलाएं समान काम के समान वेतन के अधिकार से वंचित है।
रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। कॉरपोरेट घरानों के मुनाफा की गारंटी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से श्रम कानून में परिवर्तन कर समान काम के समान वेतन के अधिकार को भी सरकार छीन लेना चाहती है। औद्योगिक क्षेत्र में भी जहां महिलाओं को शाम 6:00 बजे के बाद कारखाने में काम करना पर प्रतिबंध है वहां पर अब सरकार श्रम कानून में बदलाव कर रात्रि पाली में भी महिलाओं से काम करवाना चाहती है

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