वन नेशन-वन इलेक्शन: पीएम मोदी की सोच और चुनाव पर खुलकर बोले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय

One Nation-One Election: Former Assembly Speaker Prem Prakash Pandey Speaks Openly on PM Modi's Thinking and Election
भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं यंगिस्तान संयोजक मनीष पाण्डेय ने कार्यक्रम को संबोधित किया। देश हित में बड़ा फैसला बताया।
  • एक राष्ट्र, एक चुनाव: लोकतंत्र को गति देने की दिशा में एक सार्थक कदम। 
  • वन नेशन-वन इलेक्शन अभियान के तहत एक दिवसीय सेमीनार का हुआ आयोजन।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की दूरदर्शी सोच “एक राष्ट्र-एक चुनाव” को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से एकदिवसीय सेमीनार का आयोजन भिलाई सेक्टर 4 में हुआ। यंगिस्तान द्वारा आयजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने लोकतंत्र की मूल भावना, संविधान की विविधता और “वन नेशन, वन इलेक्शन” जैसे विचारों पर खुलकर चर्चा की।

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प्रेम पाण्डेय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र का सार असहमति से सहमति की ओर बढ़ना है। यदि हर कोई एक मत हो, तो लोकतंत्र का कोई औचित्य नहीं रह जाता। देश का संविधान इसीलिए समावेशी है क्योंकि उसमें देश के हर कोने से आए प्रतिनिधियों की आवाज शामिल है।

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डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जैसे नेताओं ने देश के संविधान को बनाते समय विश्व भर की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को आत्मसात किया। सबका उद्देश्य एक ही था कि भारत की विविधता में एकता को सुरक्षित और सशक्त बनाना।

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उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया गया कि भारत में जितने चुनाव होते हैं, उतने शायद दुनिया के किसी अन्य लोकतंत्र में नहीं होते। पंचायतों से लेकर संसद तक, सहकारी समितियों से लेकर मंडियों और कॉलेजों तक, हर स्तर पर चुनाव होते हैं। इससे स्पष्ट है कि भारत ने लोकतंत्र को सिर्फ एक शासन व्यवस्था नहीं, बल्कि जीवनशैली के रूप में अपनाया है।

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श्री पाण्डेय ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” की अवधारणा को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद जो संविधान सभा बनी, वही आगे चलकर लोकसभा में तब्दील हुई। भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और नगर निकायों के लिए अलग-अलग चुनाव होते हैं, जिससे समय और संसाधनों की भारी खपत होती है।

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इसलिए इस विचार को गंभीरता से लिया जाना चाहिए कि क्या सभी चुनाव एक साथ संभव हैं? संविधान की संरचना और चुनावी प्रक्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की राज्यसभा अमेरिका की सीनेट की तरह है, लेकिन उसका कार्यकाल छह वर्षों का रखा गया है, जबकि अमेरिका में यह पाँच वर्षों का होता है।

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राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें हर दो वर्ष में एक तिहाई सदस्यों का चयन होता है। चुनावों के दौरान लगने वाली आचार संहिता केवल योजनाओं की घोषणा पर रोक नहीं लगाता, बल्कि प्रशासनिक कार्यों की गति को भी धीमा कर देता है। अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों तक, लाखों लोग चुनावी कार्य में लग जाते हैं, जिससे नियमित सरकारी कामकाज प्रभावित होता है।

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श्री पाण्डेय ने कहा कि देश में लगभग नौ लाख मतदान केंद्र हैं और देश की कुल सरकारी कर्मचारी संख्या लगभग साढ़े तीन से चार करोड़ के बीच है। इस सीमित मानव संसाधन को बार-बार चुनाव प्रक्रिया में झोंकना, देश की कार्यकुशलता और सेवा प्रणाली को प्रभावित करता है। ऐसे में यह विचारणीय है कि क्या हम एक बेहतर प्रणाली की ओर बढ़ सकते हैं, जहाँ समय, धन और मानव संसाधनों का बेहतर उपयोग हो?

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उन्होंने कहा कि इस पहल ने न केवल लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का कार्य किया, बल्कि इसमें उठाए गए विचारों ने सभी उपस्थित जनों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत का लोकतंत्र जितना व्यापक है, उतना ही व्यावहारिक और उत्तरदायित्वपूर्ण भी होना चाहिए।

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भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं यंगिस्तान संयोजक मनीष पाण्डेय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल एक चुनावी सुधार नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का माध्यम है। उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी, महिलाएं, ग्रामीण नागरिक और समाज के सभी वर्ग इससे लाभान्वित होंगे।

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आज जिस तरह से देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, उससे केवल समय और संसाधनों की ही नहीं, बल्कि आम जनता की ऊर्जा की भी बड़ी बर्बादी होती है। कई बार ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को मतदान में भाग लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से न केवल सुविधा बढ़ेगी, बल्कि देश में विकास कार्यों की निरंतरता भी बनी रहेगी।

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उन्होंने कहा कि एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था से युवाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा और प्रशासनिक व्यवस्था भी अधिक पारदर्शी बनेगी। यह विचार केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को भी मज़बूत करता है।

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कार्यक्रम को शासकीय वी.वाय.टी.पी.जी. स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के राजनीतिक शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. शकील हुसैन ने संबोधित करते हुए बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) की संकल्पना को साकार करने की दिशा में कार्य कर रही है।

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समिति का मानना है कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश की अर्थव्यवस्था, प्रशासनिक व्यवस्था और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो इससे न केवल भारी आर्थिक बचत होगी, बल्कि नीति निर्माण और कार्यान्वयन में निरंतरता भी बनी रहेगी।

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इस ऐतिहासिक पहल को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में एक दूरदर्शी और क्रांतिकारी सुधार के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में राजनीति और शासन की दिशा को एक नई दिशा दे सकता है।

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कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से भाजपा जिलाध्यक्ष पुरूषोत्तम देवांगन, भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मनीष पाण्डेय, वीरेंद्र साहू, शिरीष अग्रवाल, बृजेंद्र सिंह, प्रेमलाल साहू सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन, भाजपा कार्यकर्ता एवं आमजन उपस्थित थे।

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