
- दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में हैं। क्या श्रम मंत्रालय कामगरों के बारे में गंभीर है?
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। देश के लाखों पेंशनभोगी न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) से 1000 रुपए न्यूनतम पेंशन मिल रही है। हरियाणा में पेंशन और अनुदान की राशि बढ़ाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर ईपीएस 95 पेंशनभोगियों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव भी आ रहा है, क्या केंद्र सरकार गरीब पेंशनर्स पर दया दिखाएगी।
पेंशनभोगी Gautam Chakraborty का कहना है कि जानकर खुशी हुई कि नायाब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली हरियाणा की भाजपा सरकार ने कैबिनेट बैठक में शहीद जवानों की पूर्व अनुदान रकम पचास लाख से एक करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया है।
और 1957 में हिंदी भाषा आंदोलन में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं की मासिक पेंशन दस हजार से बढ़ाकर बीस हजार कर दी। क्या यह हमारे रास्ते में आने वाली कुछ अच्छी चीज़ है? दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी, 2025 में हैं। क्या श्रम मंत्रालय हम कामगरों के बारे में गंभीर है?
इस जानकारी पर पेंशनर सत्यनारायण हेगड़े ने कहा-यह बहुत बढ़िया है कि मुख्यमंत्री ने पेंशन राशि बढ़ाने का फैसला लिया है। यह मुख्यमंत्री और वह भी भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की ओर से एक अच्छा कदम है।
ये खबर भी पढ़ें: EPS 95 पेंशनभोगी फर्जी खबरों से बचें, हायर-न्यूनतम पेंशन पर करें NAC से सीधा सवाल
प्रधानमंत्री मोदी की नीति के विपरीत, जिन्होंने हजारों ईपीएफ पेंशनभोगियों (EPF Pensioners) की मृत्यु के बावजूद 7500+डीए+मेडिकल की छोटी राशि देने की जहमत नहीं उठाई, जबकि हमारा भुगतान किया गया पैसा लंबे समय से ईपीएफओ के खजाने में सड़ रहा है।
लेकिन यह ईपीएफ पेंशनभोगियों (EPF Pensioners),वरिष्ठ नागरिकों के लिए नहीं है। अब, प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें बजट में प्रावधान की आवश्यकता है और इसे आगामी बजट 2025 फरवरी में लिया जाएगा। सत्यनारायण हेगड़े बोले-हमारे पैसे के लिए बजट प्रावधान की आवश्यकता क्यों है, जो लंबे समय से ईपीएफओ के खजाने में सड़ रहा है?
ये खबर भी पढ़ें: Pension संबंधी निर्देशों और पेंशन फॉर्म के सरलीकरण पर बड़ी खबर
इस मामले में, प्रधानमंत्री को पहले पेंशन देने की घोषणा करनी चाहिए और फिर बजट में लेना चाहिए। हमारे एनएसी नेता बजट प्रावधान क्यों नहीं पूछ रहे हैं? इसका मतलब यह है कि यह मोदी की एक चाल है कि वह हमें धोखा दे और दिल्ली चुनाव में हमारे वोट प्राप्त कर ले तथा महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की तरह जीत जाए।
उन्होंने कहा-मुझे नहीं लगता कि आगामी बजट में इस पर विचार किया जाएगा। किसी तरह उन्हें पता चल गया है कि एनएसी अपनी ताकत खो रही है और उनके हाथों में असहाय है तथा हमारा शोषण और उत्पीड़न कर रही है।