SAIL ISP: नोएडा के ट्विन टॉवर के तर्ज पर 5 हाइपरबोलिक कूलिंग टावर संडे को होगा ध्वस्त, बिजली-पानी सप्लाई रहेगी बंद

SAIL ISP: 5 hyperbolic cooling towers will be demolished on Sunday, electricity and water supply will remain closed
4.2 मिलियन टन अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट के लिए किया जा रहा ध्वस्त। इसी स्थान पर होना है आईएसपी का आधुनिकरण।
  • सुरक्षा प्रणाली के तौर पे पूरे शहर की बिजली रहेगी गुल। सभी को सुरक्षित रहने के लिए शहर में किया गया आगाह।

सूचनाजी न्यूज, बर्नपुर। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के इस्को बर्नपुर स्टील प्लांट (IISCO Burnpur Steel Plant) के लिए रविवार का दिन बहुत खास होने वाला है। इतिहास के पन्नों में एक यादगार टॉवर कैद हो जाएगा। पुराने कारखाने की आखिरी निशानी हाइपरबोलिक कूलिंग टावर अब खत्म होने जा रहा है। कोक ओवन, ब्लास्ट फर्नेस पहले ही हटाया जा चुका है। इस्को के प्रतीक के रूप में इसी टॉवर की फोटो नजर आती थी। अब यह इतिहास के पन्नों में कैद होगी।

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सेल आईएसपी में स्थित 5 गगन चुम्बी ऐतिहासिक हाइपरबोलिक कूलिंग टावर रविवार दोपहर 12 बजे ध्वस्त किया जाएगा। नोएडा के ट्विन टावर को ध्वस्त करने वाली कंपनी Edifice engineering को ही इसका ठेका दिया गया है। टॉवर को ध्वस्त करने के बाद इसी स्थान पर 4.2 मिलियन टन का अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट आएगा। आईएसपी का आधुनिकरण और विस्तारीकरण का कार्य यहीं होगा।

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पुराने कारखाने में पुराने ब्लास्ट फर्नेस के पीछे स्थित सभी टॉवर को ध्वस्त करने से पहले पूरे शहर को अलर्ट पर रखा गया है। सबको जानकारी दी गई। सुबह 8 से शाम 4 बजे तक बिजली बंद रहेगी। इसकी वजह से पानी सप्लाई भी बाधित हो सकती है। इस टॉवर को ध्वस्त करने के लिए पिछले दो साल से कवायद चल रही थी।

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इतिहास के पन्ने में क्या है टॉवर के बारे में

श्रमिक नेता श्रीकांत बताते हैं कि अंग्रेज़ो से आज़ाद देश के लिए क्रांति की आग जल रही थी। लेकिन इसी बीच कुछ उच्च शिक्षित बंगाली युवा पूरी तरह से विज्ञान की खोज में डूब गए। ऐसे ही एक व्यक्ति थे बीरेन मुखोपाध्याय। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वह स्टील फैक्ट्री बनाने की योजना के साथ देश वापस आए।

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तदनुसार, दामोदर की अनुमानित रूपरेखा तैयार की गई। श्रीमान की देख-रेख में फैक्ट्री के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ। 1911-1917 के आसपास, इस अवधि के दौरान पांच हाइपरबोलिक कूलिंग टॉवर बनाए गए थे।

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इसका मुख्य कार्य इस्पात उद्योग में उपयोग किये जाने वाले गर्म पानी को ठंडा करना है। इन विशाल इंजीनियरिंग संरचनाओं को करीब से देखने पर आश्चर्य होता है। सदियों पुराने इन स्तंभों से हमारा इतिहास, यादें, भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ ही घंटों में ये खंभे इतिहास के गवाह बनकर धूल में मिल जाएंगे। विदेशी विशेषज्ञ आये हैं। वे पिछले कुछ दिनों से विनाश यज्ञ को सुचारु रूप से संचालित करने में लगे हुए हैं।

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करीब 25 करोड़ का खर्च

पुरखों के कारनामों को तोड़ने की फीस के तौर पर करीब 25 करोड़ है। सुरक्षा अधिकारी, फायर ब्रिगेड, प्रशासन युद्धस्तर पर अभ्यास कर रहे हैं। पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। विदेशी विशेषज्ञ बार-बार सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नुकसान या जनहानि न हो।

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