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SAIL Wage Agreement से अधिकारियों की बल्ले-बल्ले, कर्मियों के लिए बीरबल की खिचड़ी, तो 39 माह का नहीं मिलेगा एरियर…!

SAIL Wage Agreement से अधिकारियों की बल्ले-बल्ले, कर्मियों के लिए बीरबल की खिचड़ी, तो 39 माह का नहीं मिलेगा एरियर…!
  • एनजेसीएस नेता जो दिल्ली में बैठे हैं या यूनिट में बैठे हैं, वह एक साथ जाकर प्रबंधन या चेयरमैन से मुलाकात कर औपचारिक, अनौपचारिक बैठक क्यों नहीं करते हैं।


सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 22 अक्टूबर 2021 को एनजेसीएस बैठक में बहुमत के आधार पर एमओयू में साइन किया गया और उस एमओयू में 39 महीने के एरियर के बारे में कुछ शर्ते थीं, उन्हें हटाया गया। लेकिन उसका कहीं जिक्र नहीं किया गया।

दूसरी ओर, सेवानिवृत्त कर्मचारी जो लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं कि हमारे एरियर का क्या होगा? क्योंकि उस 39 महीने के एरियर के दायरे में जितने रिटायर कर्मचारी आ रहे हैं, उनको आशा है कि हमारा एरियर मिलेगा? लेकिन कब और कैसे? जिन यूनियनों ने एमओयू में साइन किया, उन्होंने बाद में कहा प्रबंधन ने हमारे साथ धोखा किया और जिन यूनियनों ने साइन नहीं किया उन्होंने कहा कर्मियों की जायज मांग से और नीचे हम नहीं जा सकते।

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सेल प्रबंधन ने कहा यूनियनों का अड़ियल रवैया वेतन समझौते को पूरा होने नहीं दे रहा है। और कर्मियों ने कहा वेतन समझौते के लिए यूनियनों के आह्वान पर हमने 30 जून 2021 में एक अभूतपूर्व हड़ताल की। एक यूनियन ने तो बकायदा ऐतिहासिक वेतन समझौते के लिए सांसद का एवं सरकार का आभार व्यक्त किया। जबकि पूरी प्लानिंग के साथ जैसे ही कर्मियों का एमओयू हुआ, अधिकारियों का वेतन समझौता किया गया और उनको जो नुकसान हो रहा था उसको तकनीकी गणित बैठाकर पर्क्स का एरियर एक बड़ी राशि के रूप में उन्हें दिया गया। और कर्मियों ने कहा-इससे उन्हें वंचित रखा गया।

इधर-कोल इंडिया ने अपने 5 वर्ष के दो वेतन समझौते पूरे कर लिए, लेकिन सेल में एक वेतन समझौता ही पूर्ण नहीं हुआ आखिर क्यों? यह स्वभाविक है और ऐसा क्यों हो रहा है कोई वेतन समझौता एक दो या चार पांच बैठक में निरंतरता से जब तक सारे बिंदुओं पर बात नहीं हो जाती या वेतन समझौता का चैप्टर क्लोज नहीं होता। तब तक बैठक कर इसे पूर्ण क्यों नहीं किया जा रहा है। प्रबंधन बैठक नहीं बुला रहा है।

और यूनियन है यूनिट लेवल पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। लेकिन एक बड़ा सवाल कर्मियों की ओर से लगातार आ रहा है कि आफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तीन चार मुद्दों को लेकर दिल्ली जाते हैं। उनमें से एक दो मुद्दा हल करा कर या अधिकारियों के पक्ष में कुछ ना कुछ लेकर आते हैं।

लेकिन वहीं, एनजेसीएस नेता जो दिल्ली में बैठे हैं या यूनिट में बैठे हैं, वह एक साथ जाकर प्रबंधन या चेयरमैन से मुलाकात कर औपचारिक, अनौपचारिक बैठक क्यों नहीं करते हैं। ओए की तरह और अपनी बातों को एनजेसीएस बैठक के पहले प्रबंधन के सामने रखकर कुछ बेहतर करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए कभी नहीं दिखे।

कर्मचारियों ने यहां तक बोल दिया कि क्या टीएडीए मिलेगा तभी यह बैठकों में जाएंगे और बातचीत करेंगे। अगर ऐसा है तो प्रबंधन बैठक नहीं बुला रहा है और कर्मी कब तक इंतजार करते रहेंगे। इसको लेकर कर्मियों में आक्रोश है और युवाओं में तो एक तरफा विरोध है।

पहले इस तरह के मुद्दों को लेकर सरकार एवं मंत्रालय का दखल होता था। लेकिन यह लंबे समय से ऐसा होता दिख नहीं रहा है। ना ही कहीं सुनवाई हो रही है, और जिनकी सरकार है। उनका श्रम संगठन एनजेसीएस में आने के बाद कुछ भी ऐसा करवाने में सक्षम नहीं दिख रहा है, जो कर्मचारियों के लिए उम्मीद की एक किरण थी।

अहम मुद्दा नाइट अलाउंस का है। कर्मी रात्रि पाली में काम कर नाइट अलाउंस बढ़ने का इंतजार पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। वहीं, कर्मियों का आक्रोश है अदना से अदना नेता भी जनरल शिफ्ट में आकर हाजिरी लगाकर घर का रुख कर रहे हैं और नेताओं के हिस्से की नौकरी हम कर रहे हैं। और प्रबंधन ने भी अपनी आंखें बंद कर ली है तो तीनों पाली में ड्यूटी करने वाले कर्मी जिनकी उत्पादन में पूरी हिस्सेदारी है तो उनका हक क्यों मारा जा रहा है। और कब तक मीटिंग का इंतजार करेंगे।

दूसरी तरफ आधे-अधूरे वेतन समझौते को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखी गई और वह चिट्ठी मुख्य श्रम आयुक्त तक पहुंची। और फिर श्रमायुक्त के जरिए औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत उसको श्रम आयुक्त रायपुर के यहां परिवाद दायर करने को कहा गया। वह भी, जिन यूनियनों ने एमओयू में साइन नहीं किया है। मतलब यह कि दिल्ली की दौड़ वापस एनजेसीएस यूनियन और रायपुर तक आ गई।