पार्सल बुक करने के नाम पर ली रिश्वत, डाकघर के कर्मचारियों को 1 साल की जेल

Took bribe in the name of booking parcel, post office employees jailed for 1 year
तत्कालीन उप-डाकपाल, दो डाक सहायकों सहित 2 आरोपियों को 1 वर्ष के कठोर कारावास और कुल 50,000 जुर्माने की सजा।
  • आरोपियों के खिलाफ आरोपों के समर्थन में कई दस्तावेज और साक्ष्य पेश किए गए। सुनवाई के बाद अदालत ने उपरोक्त आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई।

सूचनाजी न्यूज, पटना। सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने रिश्वतखोरी के एक मामले में कतरीसराय, जिला-नालंदा के उप-डाकघर के कर्मचारियों को लपेटे में ले लिया है। तत्कालीन उप-डाकपाल और दो डाक सहायकों सहित 2 आरोपियों को 1 वर्ष के कठोर कारावास और कुल 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

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सीबीआई मामलों के लिए एलडी कोर्ट, कोर्ट नंबर II, पटना ने रिश्वतखोरी के एक मामले में कतरीसराय, जिला-नालंदा के उप-डाकघर के तत्कालीन उप-डाकपाल संजय कुमार और उमेश कुमार, तत्कालीन डाक सहायक को 1 वर्ष के कठोर कारावास और कुल 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

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सीबीआई ने 09.11.2010 को आरोपी उमेश कुमार, तत्कालीन डाक सहायक, कतरीसराय, जिला-नालंदा के खिलाफ आरोप लगाया था कि आरोपियों ने रिश्वत के एक मामले में 10 लाख रुपये की मांग की थी। शिकायतकर्ता का पार्सल बुक करने के लिए 6000 रिश्वत ली, जिसमें दवा थी, कतरीसराय उप-डाकघर से।

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जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपी उमेश कुमार ने शशिकांत कुमार से कतरीसराय उप-डाकघर से अपना पार्सल बुक करने के लिए 6,000 रुपये की रिश्वत मांगी और 10.11.2010 को इसे स्वीकार कर लिया। रिश्वत की राशि उमेश कुमार से बरामद की गई।

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सीबीआई ने कतरीसराय डाकघर के कैश सेफ की तलाशी ली और नकदी में भारी कमी पाई, क्योंकि कैश सेफ में केवल 47.466 थे, लेकिन तारीख के सारांश के अनुसार 3,65,065 केस सेफ में होने चाहिए थे और तदनुसार सेफ में 3,17,599 की राशि गायब पाई गई।

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इस कमी का कोई कारण उमेश कुमार या तत्कालीन उप-डाकपाल संजय कुमार द्वारा नहीं बताया जा सका। दोनों आरोपी संयुक्त रूप से प्रधान डाकघर को नकद राशि भेजने के लिए उत्तरदायी थे। जांच में यह भी पता चला कि दोनों आरोपियों ने मिलकर साजिश रची और आपराधिक साजिश के तहत डाक विभाग की राशि का गबन किया।

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जांच के बाद सीबीआई ने 30 दिसंबर 2010 को आरोपी उमेश कुमार और संजय कुमार के खिलाफ आरोप पत्र
दाखिल किया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के 14 गवाहों की जांच की गई और आरोपियों के खिलाफ आरोपों के समर्थन में कई दस्तावेज और साक्ष्य पेश किए गए। सुनवाई के बाद अदालत ने उपरोक्त आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई।

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