- ईट राइट इंडिया कार्यक्रम के तहत बहुभाषी, सांकेतिक भाषा में पहुंच और मल्टी-प्लेटफॉर्म मीडिया जुड़ाव के साथ मोटापा रोकने के लिए एफएसएसएआई के समावेशी अभियान की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य बेहतर पोषण और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक जन आंदोलन का निर्माण करना है
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस वर्ष के विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम “खाद्य सुरक्षा: विज्ञान में कार्रवाई” के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की
- मोटापे को रोकने के लिए तेल की खपत में 10% की कमी लाने के प्रधानमंत्री के आह्वान को दोहराया
- स्वस्थ भोजन की आदतों की आवश्यकता पर जोर के साथ-साथ, स्वस्थ भोजन की आदतों के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की भागीदारी; पारंपरिक भोजन की आदतों को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया गया
- एक विकसित भारत के लिए, एक स्वस्थ भारत आवश्यक है और इसे सही प्रकार के भोजन, स्वस्थ खानपान की आदतों और जीवन शैली के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है: नड्डा
सूचनाजी न्यूज़। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 के अवसर पर, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस), बेंगलुरु में “सुरक्षित और स्वस्थ भोजन करके मोटापा रोकें” विषय पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पारंपरिक और पौष्टिक आहार के तौर-तरीकों के माध्यम से निवारक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के अनुरूप मोटापे जैसी गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम में खाद्य सुरक्षा और पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इस कार्यक्रम में कर्नाटक सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री डॉ. शरणप्रकाश आर. पाटिल, सांसद लहर सिंह सिरोया और पी. सी. मोहन, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
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अपने मुख्य भाषण में नड्डा ने मोटापे की रोकथाम और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने पर प्रधानमंत्री के जोर को दोहराया। मोटापे और गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए नड्डा ने कहा, “मोटापा रोकने से जुड़ी जागरूकता पहल लोगों को गलत आहार आदतों के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें संतुलित, पौष्टिक भोजन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में समय पर उठाया गया एक कदम है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “विकसित भारत के लिए, स्वस्थ भारत आवश्यक है और इसे सही प्रकार के भोजन, स्वस्थ भोजन की आदतों और स्वस्थ जीवन शैली के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है।”
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सुरक्षित, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन के महत्व के साथ-साथ संतुलित आहार के लाभों के बारे में बताया जो प्रतिरक्षा को बढ़ा सकते हैं। नड्डा ने इस वर्ष के विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम यानी “खाद्य सुरक्षा: विज्ञान में कार्रवाई” (फूड सेफ्टीः साइंस इन एक्शन) के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
बढ़ते मोटापे की खतरनाक प्रवृत्ति को पहचानने के साथ, आईसीएमआर-इंडिया डायबिटीज (इंडियाब) अध्ययन का हवाला देते हुए, नड्डा ने कहा, “2008 से 2020 तक, भारत के शहरी क्षेत्रों में मोटापा 39.6% बढ़ा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 23.1% बढ़ा है।” उन्होंने एक अन्य अध्ययन का भी हवाला दिया जिसमें अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक देश की एक तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त होगी।
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शहरी क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और आहार संबंधी आदतों की चुनौती को रेखांकित करते हुए नड्डा ने जोर देकर कहा कि मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामले में बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित समूह हैं क्योंकि वे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और उनके विज्ञापनों की ओर आकर्षित होते हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने छोटी उम्र में ही जागरूकता सुनिश्चित करने का आह्वान किया जिससे बेहतर प्रभाव सामने आएंगे।
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स्वास्थ्य पर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में बताते हुए, नड्डा ने सभी से अपनी खान-पान की आदतों के प्रति सावधान रहने और पौष्टिक भोजन का पालन करने का आग्रह किया, जो व्यक्ति के मन और शरीर में स्वस्थ परिवर्तन लाता है। उन्होंने आगे कहा, “सही खाना एक अधिकार है जिसका प्रयोग हर व्यक्ति को करना चाहिए। सही खाना और इसके बारे में जागरूकता सुनिश्चित करना, सरकार, उद्योग, शिक्षा और व्यक्तियों की सामूहिक जिम्मेदारी है।”
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नड्डा ने सभी हितधारकों से प्रधानमंत्री के आह्वान पर प्रतिक्रिया देने और तेल की खपत में 10% की कमी करने और नमक का सेवन कम करने का आग्रह किया, जिसे सही खान-पान की आदतों के प्रति जागरूकता के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है।
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नड्डा ने व्यवहार में बदलाव की नई रणनीति यानि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में एफएसएसएआई द्वारा विकसित स्कूलों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक संस्थानों में चीनी और तेल बोर्ड का व्यापक प्रचार-प्रसार की भी सराहना की, जो शक्तिशाली दृश्य समर्थन टूल के रूप में काम करता है, रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में छिपी हुई चीनी और वसा के बारे में स्पष्ट एवं संबंधित जानकारी प्रदर्शित करता है।
इन संदेशों को कैंटीन, गलियारों, बैठक के कक्षों जैसी आम जगहों पर लगाए जाने से, वे सूक्ष्म रूप से व्यक्तियों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पहल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, चीनी के साथ-साथ कैलोरी सेवन पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए और पाठ्यक्रम में जागरूकता को शामिल करने का आग्रह किया।

पारंपरिक खाद्य पदार्थों के महत्व पर जोर देते हुए, नड्डा ने सभी से आग्रह किया, “पारंपरिक खाद्य पदार्थों को अपनाएं, जिसमें मोटे अनाज जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हो और सभी का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए उन्हें पुनर्जीवित करें।” उन्होंने बेहतर विकल्पों और जीवनशैली में बदलाव के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि खाद्य सुरक्षा की आदतें एक सतत प्रक्रिया है जिसे हमारे जीवन का हिस्सा बनाने की जरूरत है और इन्हें खाद्य सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए ‘सही खाने’ के लिए एक आंदोलन में बदलना चाहिए।”
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अपने विशेष संबोधन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सुरक्षित भोजन और स्वस्थ जीवन की संस्कृति के निर्माण के लिए शुरुआत में संवेदनशील बनाने और सहयोगात्मक अंतर-क्षेत्रीय कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी के लिए सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के लिए विज्ञान का लाभ उठाने, निगरानी और जोखिम मूल्यांकन प्रणाली लाने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वस्थ भोजन की आदतों के महत्व को भी रेखांकित किया और सभी हितधारकों से खाद्य सुरक्षा के बारे में सतर्क और सूचित रहने तथा हानिकारक पदार्थों से युक्त खाद्य पदार्थों से बचने का आग्रह किया।
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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “मोटापे को रोकने के लिए तेल की खपत कम करने का प्रधानमंत्री का आह्वान केवल एक नारा नहीं है, बल्कि स्वस्थ आहार संबंधी आदतें अपनाने का स्पष्ट आह्वान है।” उन्होंने आगे कहा कि “भारत को गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से मुक्त बनाने के लिए, सही और स्वस्थ भोजन करना, तेल का सेवन कम करना और सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से स्वस्थ आहार संबंधी आदतों का संदेश फैलाना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ भोजन का चुनाव केवल एक व्यक्तिगत कारण नहीं है, बल्कि स्वस्थ देश के निर्माण में योगदान भी है।”
भारत सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने सही खान-पान और मोटापे को रोकने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के तेल की खपत को 10% तक कम करने के आह्वान को दोहराया, साथ ही बच्चों को उनके भोजन विकल्पों के बारे में जागरूक करने और स्वस्थ खाने की आदतों को सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अच्छे और सही भोजन के महत्व पर भी जोर दिया और भोजन में श्री अन्न (मोटे अनाज) को शामिल करने, सभी छात्रों और शिक्षकों के बीच स्वस्थ भोजन की आदतें सुनिश्चित करने के लिए शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने जैसी स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला।
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इस कार्यक्रम में एफएसएसएआई के प्रमुख ईट राइट इंडिया कार्यक्रम के तहत मोटापा रोकने के लिए जागरूकता पहल की शुरुआत की गई। देश में मोटापे के बढ़ते मामलों को कम करने पर माननीय प्रधानमंत्री के लगातार जोर से प्रेरित पहल का उद्देश्य मोटापे और गैर-संचारी रोगों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में देश भर में जागरूकता बढ़ाना है। अधिक समावेशिता और आउटरीच सुनिश्चित करने के लिए, इस पहल के तहत संचार सामग्री सांकेतिक भाषा के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित की जा रही है। एफएम रेडियो, रेलवे ऑडियो घोषणाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित मीडिया आउटरीच के रणनीतिक मिश्रण के साथ-साथ इस पहल का उद्देश्य बेहतर पोषण और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक जन आंदोलन बनाना है। इस सामग्री के भाग के रूप में, प्रसिद्ध शेफ रणवीर बरार का एक वीडियो भी कार्यक्रम में जारी किया गया, जिसमें उन्होंने स्टॉप ओबेसिटी अभियान के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और लोगों से तेल की खपत कम करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के दौरान ईट राइट स्कूल पहल के तहत एक प्रमुख संसाधन ‘ईट राइट एक्टिविटी बुक- योर गाइड टू ईट राइट एट स्कूल’ भी लॉन्च किया गया। स्कूली बच्चों में खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार की गई इस पुस्तक में प्राथमिक, मिडिल और हाई स्कूल स्तर पर आकर्षक, आयु के लिहाज से उपयुक्त गतिविधियां शामिल हैं। प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा विकसित, यह पाठ्यक्रम और पाठ्येतर दोनों तरह की शिक्षा का समर्थन करता है और बच्चों को अपने स्कूलों और परिवारों में स्वस्थ भोजन के लिए शुरुआती समर्थक बनने के लिए सशक्त बनाता है।
इस कार्यक्रम में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक और भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के सचिव राजीव बहल, एफएसएसएआई की सीईओ जी. कमला वर्धन राव, भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार, सीबीएसई के अध्यक्ष राहुल सिंह, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, कर्नाटक, झारखंड, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ राज्यों के स्वास्थ्य सचिव, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्त, वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल के सदस्य, एफएसएसएआई, देश भर के खाद्य व्यवसाय संचालक, उद्योग संगठन, विकास भागीदार, एफएसएसएआई के कर्मचारी और देश भर के राज्य एफडीए ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया।
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