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Bokaro Steel Plant: मजदूर उतरे सड़क पर, प्रबंधन को ललकारा, कहा-अधिकारियों के घमंड से नहीं मिल रहा न्याय

Bokaro Steel Plant: मजदूर उतरे सड़क पर, प्रबंधन को ललकारा, कहा-अधिकारियों के घमंड से नहीं मिल रहा न्याय
  • प्रबंधन को चेतावनी दी गई कि अविलंब सारी समस्याओं पर सकारात्मक पहल करते हुए ठोस निर्णय लें। अन्यथा यूनियन आर-पार की लड़ाई को विवश होगी।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट के मजदूर एक बार फिर सड़क पर उतर आए हैं। ठेका मजदूरों के विभिन्न समस्याओं को लेकर क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) की ओर से प्रदर्शन किया गया। भारतीय इस्पात प्राधिकरण के बीएसएल कोक ओवन एवं कोक केमिकल्स में मजदूरों ने कोक ओवन बैट्री में ग्रेड प्रमोशन लागू कराने के लिए महामंत्री का आभार प्रकट करते हुए गरमजोशी से स्वागत किया।

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मीटिंग को संबोधित करते हुए संघ के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज बोकारो इस्पात संयंत्र ठेका मजदूरों की मेहनत की बदौलत उत्पादन में नित नए कीर्तिमान हासिल कर रहा है। मगर प्रबंधन ठेका मजदूरों को हक अधिकार से वंचित कर तानाशाही पर उतर आई है। साथी नंदकुमार के कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होकर मृत्यु के पश्चात उनके आश्रित को जिस प्रकार से न्याय एवं हक से वंचित रख प्रताड़ित किया जा रहा है, तानाशाही नहीं तो क्या है?

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उन्होंने कहा कि आज प्रबंधन के कुछ अधिकारियों के घमंड के कारण एक गरीब ठेका मजदूर का परिवार दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। प्रबंधन के ऐसे अधिकारियों को इस मीटिंग के माध्यम से खुली चेतावनी है कि नंदकुमार के इंसाफ के लिए यूनियन किसी भी हद तक आंदोलन के लिए कमर कस चुकी है हर हाल में न्याय लेकर रहेंगे। ठेका मजदूरों से गुलामों की तरह काम कराया जा रहा है, प्रबंधन की इसी सोच के कारण ही उनका वेज रिवीजन लंबित है।

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झारखंड सरकार के भवन निर्माण के मिनिमम वेज पर काम लिया जा रहा है। वह भी कहीं मिलता है कहीं नहीं। जल्द से जल्द सम्मानजनक वेतन लागू करना होगा। अगर ठेका मजदूर दुर्घटनाग्रस्त होकर मृत्यु के शिकार हो जाते हैं या स्थाई रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं तो उनके एवं उनके परिवार के लिए कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं।शोषण नहीं तो क्या है?

अविलंब प्रबंधन प्रत्येक ठेका मजदूरों के लिए कम से कम 15 लाख की ग्रुप इंश्योरेंस की व्यवस्था करें। न ग्रेच्युटी ना किसी प्रकार के भत्ते सीधे-सीधे इनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाती है। ग्रेच्युटी के साथ-साथ सभी प्रकार के भत्ते को लेकर ही रहेंगे।

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राजेंद्र सिंह ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि अगर मजदूरों को मेडिकल जांच भी करवाना है तो अपने पैसे से। यह कैसी व्यवस्था है। एक तरफ प्रबंधन करोड़ों रुपये सिर्फ सुरक्षा के कागजी खानापूर्ति के लिए मित्र एजेन्सी पर लुटा रही है। वहीं, दूसरी ओर मजदूर अपने पैसे से मेडिकल जांच कराने को मजबूर हैं।

कोक-ओवन प्रबंधन को आड़े हाथ लेते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि प्रबंधन को पता ही नहीं है कि, इनके यहां कितने पद स्किल्ड मजदूरों के हैं और कितने पद अनस्किल्ड मजदूरो के हैं। अनस्किल्ड मजदूरों से जबरन अनस्किल्ड के वेतन पर स्किल्ड का काम कराया जा रहा है।

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प्रबंधन तय करे कि कौन सा काम स्किल्ड का है। शाइलो में जहां दो ठेका मजदूरों का माइनिंग होना चाहिए, वहां एक ही मजदूर का माइनिंग किया जा रहा है, जो दुर्घटना को सीधे-सीधे आमंत्रण है।

इस मीटिंग के माध्यम से प्रबंधन को चेतावनी दी गई कि अविलंब सारी समस्याओं पर सकारात्मक पहल करते हुए ठोस निर्णय लें। अन्यथा यूनियन आर-पार की लड़ाई को विवश होगी। मीटिंग में आरके सिंह, शशिभूषण, संतोष कुमार, रामपुकार, जुम्मन, सिराज, नागेंद्र, आनंद, धर्मेंद्र पंडित, अमित यादव, हरेराम, राजेश तिवारी, रमेश सिंह, चुन्नु मिश्रा, उत्तम सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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