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EPFO और सरकार का सबसे आसान टार्गेट पेंशनर्स, EPS 95 पेंशन पर वरदान-श्राप तक की आई बात

EPFO और सरकार का सबसे आसान टार्गेट पेंशनर्स, EPS 95 पेंशन पर वरदान-श्राप तक की आई बात
  • पेंशनर्स ने कहा-देश के 75 लाख पेंशनभोगियों की जीवन रक्षा के लिए मोदीजी की सरकार ने कुछ भी देना स्वीकार नहीं।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। EPS 95 हायर पेंशन पर भड़ास कम नहीं हो रही है। पेंशनर्स का गुस्सा सातवें आसमान पर है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पेंशनर्स को सरकार से राहत मिली नहीं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर जमकर बखिया उधेड़ी जा रही है। EPFO और सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पेंशनर्स Indranath Thakur ने एक पोस्ट शेयर किया।

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पोस्ट में लिखा है-सरकार ने जो किया है कुछ सोच कर ही किया होगा। वृद्धजनों को जो कहना था, कह भी दिया है। आठ साल कोई कम वक्त नहीं होता है। देश के 75 लाख पेंशनभोगियों की जीवन रक्षा के लिए मोदीजी की सरकार ने कुछ भी देना स्वीकार नहीं।

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CBT के अध्यक्ष श्रममंत्री भूपेंद्र यादव और EPFO को छल करने के लिए सबसे आसान टारगेट देश के बुजुर्गजन ही मिले। बहुत अच्छा किया इस सरकार ने कि कम से कम हमारे नेत्रों से आशा और  विश्वास की अंधी पट्टी तो खोल दी। हम दीन हैं, किन्तु हीन नहीं…।  घर के बूढ़े-बुजुर्ग सरकार को और कुछ क्या दे सकते हैं?

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पेंशनर्स ने आगे लिखा-कमांडर अशोक राउत ने सही कहा है कि वे खुश होकर वरदान दे सकते हैं और नाराज होकर श्राप। सरकार के अहंकार को यदि यह तुच्छ दिखाई दे तो हम और क्या कर सकते हैं?

सरकार चाहे तो इस रकम को वापस ले सकती है

हां, एक हजार-पंद्रह सौ की पेंशन की रकम जो वैसे ही बेमानी है। इस रकम को देश की सेवा में समर्पित कर सकते हैं। अगर सरकार चाहे तो इस रकम को वापस ले सकती है। हमें खोने के लिए और कुछ है भी नहीं। किन्तु सरकार की नीतियों और नीयत पर और अधिक भरोसा कैसे कर सकते हैं? जो होता है, अच्छा ही होता है।

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एई कोरेछो भालो! निठुर एई कोरेछो भालो!

हमारे वोटो या नोटा से इनको कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा

पेंशनर्स के मन की बात को पढ़ने के बाद Nitin Bhagwat का जवाब आया। लिखा-शानदार पोस्ट इंदरनाथ ठाकुर जी,दुख बाटे, थोड़ी पीड़ा, कुछ समय के लिए सही आराम देती है। लेकिन हमारे वोटो या नोटा से इनको कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा। ये अपना दायरा दूसरे पार्टी को लोगो को लेकर बढ़ा रहे है। हमारा श्राप कहीं न कहीं तरसाएगा…। बाकी जो होना है होके रहेगा।

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