15 दिन तक महाप्रभु बीमार रहे। खाने से दूर थे। क्वारंटीन थे। फिट होने के बाद सोमवार को नेत्र उत्सव हुआ। इसके अगले दिन यानी मंगलवार को जनदर्शन देते हुए मौसी के घर पहुंचे।
अज़मत अली, भिलाई। Rathyatra Mela 2023: देशभर में श्री जगन्नाथ मेला 2023 धूमधाम से मनाया जा रहा है। मिनी इंडिया भिलाई में भी जगन्नाथ मेला की धूल रही। सेक्टर-4 जगन्नाथ मंदिर परिसर से रथयात्रा निकाली गई, जो सेक्टर-10 स्थित गुंडिचा भवन तक जाएगी। गुंडिचा भवन यानी महाप्रभु जगन्नाथ की मौसी का घर…। अब यहीं भगवान जगन्नाथ 9 दिनों तक रहेंगे, इसके बाद वापस लौटेंगे। इससे पूर्व मंदिर में पूजा अर्चना, आरती, छेरा पहरा के बाद रथ को खींचने का सिलसिला शुरू हुआ। हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ महाप्रभु के दर्शन के लिए उमड़ी। हर कोई भगवान जगन्नाथ को छुने को बेताब दिखा। क्षेत्रीय नृत्य दल और हरे-कृष्णा, हरे-रामा का कीर्तन करते हुए युवाओं की टोली चल रही थी। सेक्टर-4 से सेक्टर-10 तक आस्था का माहौल बना हुआ है।
![](http://52.63.160.167/wp-content/uploads/2023/06/Rathyatra-Mela-2023-Rath-Yatra-of-Lord-Jagannath-in-Bhilai-flood-of-devotion4.jpg)
15 दिन तक महाप्रभु बीमार रहे। खाने से दूर थे। क्वारंटीन थे। फिट होने के बाद सोमवार को नेत्र उत्सव हुआ। इसके अगले दिन यानी मंगलवार को जनदर्शन देते हुए मौसी के घर पहुंचे। रथ में विराजमान होने पूर्व सर्वप्रथम प्रभु बलभद्र ठाकुर को मंदिर से बाहर लाया गया। जनदर्शन देते हुए रथ की परिक्रमा की और इसके बाद विराजमान हुए। फिर, अगला नंबर माता सुभद्रा का लगा। सुभद्रा जी के रथ में विराजने के बाद भगवान जगन्नाथ बाहर लाए गए। फिर रथ में विराजमान हुए।
![](http://52.63.160.167/wp-content/uploads/2023/06/Rathyatra-Mela-2023-Rath-Yatra-of-Lord-Jagannath-in-Bhilai-flood-of-devotion8.jpg)
ऐसा माना जाता है कि यह हंसी-ठिठोली का पर्व है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के साथ हंसी-मजाक करते हुए मौसी के घर जाते हैं। भक्तगण ही प्रभु बलभद्र और सुभद्रा जी को ससम्मान शालीनता पूर्वक रथ की परिक्रमा कराकर रथ में बैठाते हैं। जबकि श्रद्धालु यानी भक्त अपनी ही मस्ती में होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ के साथ हंसी-मजाक करते हुए, रस्सी से खींचते हुए, ठोकते हुए और झूमते-गाते हुए रथ में बैठाकर मौसी के द्वार तक जाते हैं।
पहंडी विजय की रही धूम
![](http://52.63.160.167/wp-content/uploads/2023/06/Rathyatra-Mela-2023-Rath-Yatra-of-Lord-Jagannath-in-Bhilai-flood-of-devotion2.jpg)
श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-4 से रथयात्रा शुरू होने से पहले आस्था का मेला लगा। मंदिर परिसर में दोपहर से ही ढोल-बाजे बजते रहे। धार्मिक गीत गूंजते रहे। जय जगन्नाथ के नारे गूंजे। मंदिर से महाप्रभु को रथ तक लाने की प्रक्रिया पहंडी विजय धूमधाम से मनाई गई। कीर्तन दल साथ चल रहा था। जगन्नाथ का गुणगान करते हुए दल आगे बढ़ता रहा।
पीछे बतौर राजा मुख्य अतिथि प्रेम प्रकाश पांडेय छेरा पहरा करते हुए चल रहे थे। मंदिर से रथ तक के मार्ग का झाड़ू लगाते हुए चल रहे थे। तीनों विग्रह के ऊपर छतरी रही, जो किसी राज्य दरबार की झलक पेश कर रही थी। प्रेम प्रकाश पांडेय जल छिड़क कर रास्ते को पवित्र करते हुए आगे बढ़ते रहे।
प्रेम प्रकाश पांडेय को बनाया राजा, फिर सेवक बनकर छिड़कते रहे जल
![](http://52.63.160.167/wp-content/uploads/2023/06/Rathyatra-Mela-2023-Rath-Yatra-of-Lord-Jagannath-in-Bhilai-flood-of-devotion6.jpg)
दोपहर करीब तीन बजे पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय रस्म अदायगी के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचा। यहां विधि-विधान के बाद उन्हें राजा के रूप में संवारा गया। मुख्य पुरोहित ने पृतवास पाढी ने मंत्रोचार किया। पुष्प वर्षा की। इसके बाद पगड़ी बांधी गई। समिति के सदस्य वृंदावन ने पगड़ी बांधी।
चंद मिनट तक हर कोई इस राज्याभिषेक का दीदार करता रहा। कोई कैमरे में कैद करता रहा तो कोई आस्था स्वरूप खड़ा रहा। परंपरा का निर्वहन करते हुए पूर्व मंत्री को छेरा पहरा के लिए तैयार किया गया। जगन्नाथ पुरी में यह काम मुख्य पुरोहित करते हैं। इसलिए यहां मुख्य अतिथि को ही राजा के रूप में यह जिम्मेदारी दी जाती है, जिसका निर्वहन प्रेम प्रकाश पांडेय ने किया।
रथयात्रा में समिति के ये सदस्य रहे साथ
![](http://52.63.160.167/wp-content/uploads/2023/06/Rathyatra-Mela-2023-Rath-Yatra-of-Lord-Jagannath-in-Bhilai-flood-of-devotion3.jpg)
जगन्नाथ समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सतपथी व महासचिव सत्यवान नायक सहित समिति के पदाधिकारी भीम स्वांई, त्रिनाथ साहू, अनाम नाहक,बसंत प्रधान, डी त्रिनाथ, बीसी बिस्वाल, वृंदावन स्वांई, सुशान्त सतपथी, प्रकाश दास, कालू बेहरा, निरंजन महाराणा, रंजन महापात्र, प्रकाश स्वांई,एस सी पात्रो,जगन्नाथ पटनायक,रवि स्वांई, बीस केशन साहू, कवि बिस्वाल, सीमांचल बेहरा,वी के होता,हिमांशु शांती,सुदर्शन शांती, संतोष दलाई, श्याम दलाई, कैलाश पात्रो ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।