Suchnaji

ईपीएस 95 हायर पेंशन, EPFO और कोर्ट की अवमानना पर बड़ा दावा

ईपीएस 95 हायर पेंशन, EPFO और कोर्ट की अवमानना पर बड़ा दावा
  • पेंशनभोगियों को भारी मानसिक और शारीरिक दबाव का सामना करना पड़ता है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ईपीएस पेंशन मामले की यात्रा पर पेंशनर्स इंद्रनाथ ठाकुर ने पूरी पड़ताल करने वाला पोस्ट किया है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि 04 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने पेंशनर्स के पक्ष में बहुत ही साहसिक निर्णय दिया और न्याय दिया।
वहीं, कुछ सवाल भी उठाए गए हैं। लिखा गया कि विशेषज्ञों द्वारा कुछ खामियां देखी गई थीं, तो इस तरह की शंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। फिर शुरू हुआ असली खेल। ईपीएफओ ने अदालत के आदेश में देरी करके उसे गड़बड़ कर दिया।

ये खबर भी पढ़ें : EPS 95 पेंशन: पेंशनर्स का आखिरी पत्र PM मोदी के नाम, पढ़िए मजमून

AD DESCRIPTION

इससे ईपीएफओ साइट पर अफरा-तफरी मच गई। कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के चार महीने बाद लिंक उपलब्ध होने के बाद, उन्होंने इसे पीपीओ से लिंक करने के बजाय यूएएन से लिंक कर दिया, जो 2018 तक सेवानिवृत्त लोगों के लिए सक्रिय नहीं था।

सोशल मीडिया पर ईपीएस 95 हायर पेंशन को लेकर उठाए गए मुद्दों पर यह भी कहा गया कि उन्होंने एक्टिवेशन लिंक को भी बेकार कर दिया और किसी भी प्रतिष्ठान में कोई बदलाव नहीं करने का मौखिक निर्देश दिया।

ये खबर भी पढ़ें : EPFO और सरकार का सबसे आसान टार्गेट पेंशनर्स, EPS 95 पेंशन पर वरदान-श्राप तक की आई बात

इस सारी उथल-पुथल में, पेंशनभोगियों को भारी मानसिक और शारीरिक दबाव का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले विकल्प प्रपत्र को 10 से अधिक स्थानों पर भेजें।

फिर ऑन लाइन फाइलिंग के दौरान त्रुटि संदेश के कारण उसे ठीक करने के लिए मदद मांगना और प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को काफी मानसिक और शारीरिक तनाव झेलना पड़ा।

ये खबर भी पढ़ें : EPS 95 के बूढ़े-बुजुर्ग Pensioners के राष्ट्रव्यापी आन्दोलन को EPFO-सरकार का ठेंगा!

केरल हाई कोर्ट का फैसला

फिर केरल हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद ऑनलाइन लिंक एक ही दिन में काम करने लगा और ईपीएफओ ने जानबूझकर मामले में परेशानी पैदा की और समय सीमा बढ़ा दी। और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई चार महीने की समय सीमा और उनकी अपेक्षा खो गई थी। फिर प्रतिष्ठानों से मंजूरी के लिए ईपीएफओ ने फिर जानबूझ कर बाधाएं पैदा कीं।

ये खबर भी पढ़ें :  SAIL NJCS बैठक से पहले Durgapur Steel Plant से आई हंगामे की खबर, मुद्दे हल नहीं तो हड़ताल

EPFO अधिकारियों को पता है

और अब वे बार-बार समय सीमा बढ़ाकर इसमें देरी कर रहे हैं। यह सीधे तौर पर कोर्ट की अवमानना है। और ये बात EPFO अधिकारियों को पता है। लेकिन राजनीतिक समर्थन और सरकार के पूर्ण समर्थन के बिना यह संभव नहीं है। अंत में पेंशनर्स ने यह भी लिखा कि मैंने अभी अपनी राय व्यक्त की है। आप सभी होशियार हैं, इसलिए आप समझते हैं कि क्या करना है?

ये खबर भी पढ़ें :  EPS 95 हायर पेंशन पर एक और झटका, पेंशन के हकदार नहीं होने का मैसेज वायरल, EPFO चुप

सुप्रीम कोर्ट के 11 नवंबर 2022 के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन

यह सुप्रीम कोर्ट के 11 नवंबर 2022 के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन था। जब ईपीएफओ द्वारा 31 मार्च 2023 तक पेंशन संशोधित नहीं की गई थी। ‘ईपीएफओ द्वारा जानबूझकर फॉर्म भरने से लेकर नियोक्ता की सहमति तक बाधाएं डालकर इसमें जानबूझकर देरी की गई।’ सारा डेटा उपलब्ध था और यह जानबूझकर उत्पीड़न था। ईपीएफओ के पास केंद्र सरकार का सारा पैसा था।

ये खबर भी पढ़ें :  Executive Of The Quarter Award: बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारियों को खाते में आया अवॉर्ड